सरकार जुलाई तक पूरे मप्र को बिजली देने का भले ही संकल्प ले जुट चुकी हो, लेकिन कृषकों के लिए लागू की गई उर्जीकरण योजना प्रथम चरण में ही झटके ले रही है। ग्रामीण क्षेत्र में लगाए २५ केवीए के १६ ट्रांसफार्मर शुरुआती रिचार्ज में फेल हो गए हैं।
ग्रामीण जहां इसके लिए विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को दोषी मान रहे हैं, वहीं ठेकेदारों ने भी अधिकारियों पर भष्टाचार के आरोप लगाए। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को सिंचाई में परेशानी न हो इसके लिए सरकार द्वारा कृषि पंप ऊर्जीकरण की योजना चलाई है। कृषक व ठेकेदारों के अनुसार ट्रांसफार्मर्स के फेल होने का प्रमुख कारण अधिकारियों द्वारा घटिया उपकरण लगाना है। वहीं अधिकारियों ने शासन को भी गलत जानकारी भेजी है। जानकारी के अनुसार ट्रांसफार्मर घटिया क्वालिटी के थे, जो स्टार टेड नहीं हैं। साथ ही इन्हें सीपीआरआई में टेस्ट भी नहीं कराया गया है।
-भ्रष्ट हैं अधिकारी
दो दर्जन से अधिक ठेकेदार जो विद्युत वितरण कंपनी के एसटीसी वक्र्स से जुड़े हैं, इन्होंने आरोप लगाया है कि बिजली अधिकारियों ने ट्रांसफार्मर स्थापित करने में भारी भ्रष्टाचार किया है। अधिकारियों ने अपने स्वार्थ के चलते घटिया ट्रांसफार्मर स्थापित करवा दिए हैं। अभी भी कार्य अधूरा है, लेकिन वे सरकार को देकर वाहवाही लूट रहे हैं।
-ऐसे ही भेजी रिपोर्ट
ठेकेदारों के अनुसार रायसेन, विदिशा, सीहोर, बैतूल और भोपाल विद्युत संभाग में किसानों ने पंप ऊर्जीकरण के तहत करीब 8 से 10 महीने पहले आवेदन किया था। साथ ही निर्धारित राशि भी जमा करा दी। बावजूद इसके अब तक काम शुरू नहीं किया। दूसरी ओर अधिकारियों ने काम पूरा होने संबंधी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। अधिकारियों ने जो ट्रांसफार्मर लगाए हैं, वे 16 केवीए क्षमता के हैं, जबकि उन पर 25 केवीए की प्लेट लगी हुई है। अधिकारियों ने शासन और किसानों को धोखे में रखा है। रायसेन जिले के बरेली क्षेत्रांतर्गत उदयपुरा डीसी से संबद्ध ग्राम धौलपुर के किसान नारायण पटेल के अनुसार उनके यहां लगाया गया 25 केवीए का ट्रांसफार्मर पहली रिचार्ज में ही जल गया। इसे छह माह बाद भी बदला नहीं गया। अब फसल पूरी तहर सूखने की कगार पर है।
-एक जुट हुए ठेकेदार
उधर आर्थिक शोषण के विरुद्ध एसटीसी से जुड़े बिजली ठेकेदारों ने अपना संगठन तैयार कर लिया है। मध्यक्षेत्र इलेक्ट्रिकल कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन के नाम से गठित इस संगठन में सह-संयोजक रवीन्द्र गर्ग, उपाध्यक्ष अय्यूब आदिल व गीता सिंह, महामंत्री आनंद पांडे, प्रवक्ता आलोक सेंगर, सचिव आशीष दुबे सह-सचिव अनस मोहम्मद खान तथा अतुल चौहान शामिल हैं। उधर ठेकेदारों के आंदोलन के चलते सीहोर, बैतूल, विदिशा, भोपाल और रायसेन विद्युत संभागों के ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है।
-वर्जन
ग्रामीण क्षेत्रों में २५ केवीए अथवा इससे ऊपर के ही ट्रांसफार्मर रखे जा रहे हैं। टेस्टिंग के दौरान जरूर कम केवीए के ट्रांसफार्मर रखे जाते हैं। इस दौरान यह फेल होते हैं तो बदला जाता है। फिर भी आपने जानकारी दी है तो मैं उच्च अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराउंगा। अपने संभाग में भी निरीक्षण करूंगा।
वीके सिन्हा, एसी, विदिशा
ग्रामीण जहां इसके लिए विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को दोषी मान रहे हैं, वहीं ठेकेदारों ने भी अधिकारियों पर भष्टाचार के आरोप लगाए। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को सिंचाई में परेशानी न हो इसके लिए सरकार द्वारा कृषि पंप ऊर्जीकरण की योजना चलाई है। कृषक व ठेकेदारों के अनुसार ट्रांसफार्मर्स के फेल होने का प्रमुख कारण अधिकारियों द्वारा घटिया उपकरण लगाना है। वहीं अधिकारियों ने शासन को भी गलत जानकारी भेजी है। जानकारी के अनुसार ट्रांसफार्मर घटिया क्वालिटी के थे, जो स्टार टेड नहीं हैं। साथ ही इन्हें सीपीआरआई में टेस्ट भी नहीं कराया गया है।
-भ्रष्ट हैं अधिकारी
दो दर्जन से अधिक ठेकेदार जो विद्युत वितरण कंपनी के एसटीसी वक्र्स से जुड़े हैं, इन्होंने आरोप लगाया है कि बिजली अधिकारियों ने ट्रांसफार्मर स्थापित करने में भारी भ्रष्टाचार किया है। अधिकारियों ने अपने स्वार्थ के चलते घटिया ट्रांसफार्मर स्थापित करवा दिए हैं। अभी भी कार्य अधूरा है, लेकिन वे सरकार को देकर वाहवाही लूट रहे हैं।
-ऐसे ही भेजी रिपोर्ट
ठेकेदारों के अनुसार रायसेन, विदिशा, सीहोर, बैतूल और भोपाल विद्युत संभाग में किसानों ने पंप ऊर्जीकरण के तहत करीब 8 से 10 महीने पहले आवेदन किया था। साथ ही निर्धारित राशि भी जमा करा दी। बावजूद इसके अब तक काम शुरू नहीं किया। दूसरी ओर अधिकारियों ने काम पूरा होने संबंधी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। अधिकारियों ने जो ट्रांसफार्मर लगाए हैं, वे 16 केवीए क्षमता के हैं, जबकि उन पर 25 केवीए की प्लेट लगी हुई है। अधिकारियों ने शासन और किसानों को धोखे में रखा है। रायसेन जिले के बरेली क्षेत्रांतर्गत उदयपुरा डीसी से संबद्ध ग्राम धौलपुर के किसान नारायण पटेल के अनुसार उनके यहां लगाया गया 25 केवीए का ट्रांसफार्मर पहली रिचार्ज में ही जल गया। इसे छह माह बाद भी बदला नहीं गया। अब फसल पूरी तहर सूखने की कगार पर है।
-एक जुट हुए ठेकेदार
उधर आर्थिक शोषण के विरुद्ध एसटीसी से जुड़े बिजली ठेकेदारों ने अपना संगठन तैयार कर लिया है। मध्यक्षेत्र इलेक्ट्रिकल कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन के नाम से गठित इस संगठन में सह-संयोजक रवीन्द्र गर्ग, उपाध्यक्ष अय्यूब आदिल व गीता सिंह, महामंत्री आनंद पांडे, प्रवक्ता आलोक सेंगर, सचिव आशीष दुबे सह-सचिव अनस मोहम्मद खान तथा अतुल चौहान शामिल हैं। उधर ठेकेदारों के आंदोलन के चलते सीहोर, बैतूल, विदिशा, भोपाल और रायसेन विद्युत संभागों के ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है।
-वर्जन
ग्रामीण क्षेत्रों में २५ केवीए अथवा इससे ऊपर के ही ट्रांसफार्मर रखे जा रहे हैं। टेस्टिंग के दौरान जरूर कम केवीए के ट्रांसफार्मर रखे जाते हैं। इस दौरान यह फेल होते हैं तो बदला जाता है। फिर भी आपने जानकारी दी है तो मैं उच्च अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराउंगा। अपने संभाग में भी निरीक्षण करूंगा।
वीके सिन्हा, एसी, विदिशा
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