कलेक्ट्रेट में १११ कमिश्नरी में आई ७ शिकायतें
हाउसिंग बोर्ड ने गलत तरीके से ली किसानों से भूमि
-अर्जेंसी की धारा का किया दुरुपयोग
-नरेलाशंकरी के विस्थापित किसानों ने लगाए आरोप
भोपाल।
मप्र शासन और मप्र गृह निर्माण मंडल ने १९९१ नरेलाशंकरी के किसानों की १३२.२२ एकड़ भूमि गलत तरीके से अधिग्रहित की है। हाउसिंग बोर्ड ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा-17 का हवाला देते हुए कब्जा लिया। जबकि इसका उपयोग केवल अतिअवश्यक प्रयोजनों के लिए किया जाता है। यह आरोप नरेलाशंकरी के प्रभावित किसानों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन देते हुए लगाए। सुनवाई अपर कलेक्टर बसंत कुर्रे कर रहे थे। जनसुनवाई में कुल १११ शिकायती आवेदन आए।
किसानों का नेतृत्व कर रहे योगेन्द्र कुमार पाठक ने अपर कलेक्टर को बताया कि उक्त जमीन के अर्जन से लेकर भूमि का कब्जा लेने तक कई स्तरों पर अनियमितताएं एवं अवैधानिक कृत्य किए गए हैं। किसानों के झूठे दस्तावेज तैयार किए गए और अधिकारियों ने एक पक्षिय कार्रवाई करते हुए हथियाई। श्री पाठक ने कहा वहीं वर्ष १९८७-८८ में खसरा न.-१४४ और १४६ की जमीन को अवार्ड से बाहर कर दिया, जबकि अधिसूचना में दोनों ही खसरों का उल्लेख है। इन खसरों पर कम्फर्ट रायल और श्रीराम कालोनी ने कालोनियां विकसित कर दी हैं। शासन के अधिकारियों ने अवैधानिक कृत्य करते हुए बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। राजपत्र में प्रकाशन के बाद भी शासन ने इन जमीनों को छोड़ दिया। किसानों ने मांग की, पूरे प्रकरण की जांच कर न्याय दिलाया जाए। श्री कुर्रे ने एसडीएम गोविन्दपुरा को जांच के निर्देश दिए। इसी प्रकार ग्राम कालापानी के कृषक गोपी ने अपने आवेदन में बताया कि 5 एकड़ शासकीय कृषि भूमि का पट्टा जो पिता भवानी सिंह के नाम था। इस पर मैं और मेरे भाई अमर सिंह व भीमा कृषि करते थे, लेकिन भीमा ने पूरी भूमि पर कब्जा जमाते हुए इसे बेच दिया।
ग्राम कानासैया के जमना प्रसाद ने शिकायत दी कि उनकी निजी भूमि को शासकीय भूमि में दर्ज कर लिया गया है। यह भूमि २६/३/७३ को पिता रूप लाल ने मुईन मोहम्मद खां पिता तंजीन मोहम्मद खां से क्रय की थी। पिता की ९/५/०२ को मृत्यु हो गई। उत्तराधिकारी व वसीयत मेरे नाम हुई। लेकिन सर्वे न.-१८३ में १८५, १८६, १८७ व १८४/१ मिलाकर नया सर्वे न.- ३७३ कुल रकबा १५.४९० बना दिया। इसी में ३.०८८ भी शामिल है। इसे शासकीय दर्ज किया। मामला सुन अपर कलेक्टर ने हुजूर एसडीएम को जांच के निर्देश दिए। इसी प्रकार ग्राम खारपा के फूंदीलाल ने शासन द्वारा दिए गए जमीन के पट्टे का खसरा तहसील शाखा के कम्प्यूटर में दर्ज करने की गुहार लगाई। श्री कुर्रे ने एसडीएम हुजूर को तत्काल कार्रवाई के लिए लिखा।
यहां श्री कुर्रे के साथ डिप्टी कलेक्टर जीएस धुर्वे ने भी आवेदकों की समस्याओं को सुना।
-उपायुक्त ने दिए निर्देश
दूसरी ओर कमिश्नर कार्यालय में सात आवेदकों ने आवेदन दिए। कमिश्नर कार्यालय में उपायुक्त सीएल डोडियार ने आवेदकों की समस्याएं सुनीं। इन्हें निराकृत करने के लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।
हाउसिंग बोर्ड ने गलत तरीके से ली किसानों से भूमि
-अर्जेंसी की धारा का किया दुरुपयोग
-नरेलाशंकरी के विस्थापित किसानों ने लगाए आरोप
भोपाल।
मप्र शासन और मप्र गृह निर्माण मंडल ने १९९१ नरेलाशंकरी के किसानों की १३२.२२ एकड़ भूमि गलत तरीके से अधिग्रहित की है। हाउसिंग बोर्ड ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा-17 का हवाला देते हुए कब्जा लिया। जबकि इसका उपयोग केवल अतिअवश्यक प्रयोजनों के लिए किया जाता है। यह आरोप नरेलाशंकरी के प्रभावित किसानों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन देते हुए लगाए। सुनवाई अपर कलेक्टर बसंत कुर्रे कर रहे थे। जनसुनवाई में कुल १११ शिकायती आवेदन आए।
किसानों का नेतृत्व कर रहे योगेन्द्र कुमार पाठक ने अपर कलेक्टर को बताया कि उक्त जमीन के अर्जन से लेकर भूमि का कब्जा लेने तक कई स्तरों पर अनियमितताएं एवं अवैधानिक कृत्य किए गए हैं। किसानों के झूठे दस्तावेज तैयार किए गए और अधिकारियों ने एक पक्षिय कार्रवाई करते हुए हथियाई। श्री पाठक ने कहा वहीं वर्ष १९८७-८८ में खसरा न.-१४४ और १४६ की जमीन को अवार्ड से बाहर कर दिया, जबकि अधिसूचना में दोनों ही खसरों का उल्लेख है। इन खसरों पर कम्फर्ट रायल और श्रीराम कालोनी ने कालोनियां विकसित कर दी हैं। शासन के अधिकारियों ने अवैधानिक कृत्य करते हुए बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। राजपत्र में प्रकाशन के बाद भी शासन ने इन जमीनों को छोड़ दिया। किसानों ने मांग की, पूरे प्रकरण की जांच कर न्याय दिलाया जाए। श्री कुर्रे ने एसडीएम गोविन्दपुरा को जांच के निर्देश दिए। इसी प्रकार ग्राम कालापानी के कृषक गोपी ने अपने आवेदन में बताया कि 5 एकड़ शासकीय कृषि भूमि का पट्टा जो पिता भवानी सिंह के नाम था। इस पर मैं और मेरे भाई अमर सिंह व भीमा कृषि करते थे, लेकिन भीमा ने पूरी भूमि पर कब्जा जमाते हुए इसे बेच दिया।
ग्राम कानासैया के जमना प्रसाद ने शिकायत दी कि उनकी निजी भूमि को शासकीय भूमि में दर्ज कर लिया गया है। यह भूमि २६/३/७३ को पिता रूप लाल ने मुईन मोहम्मद खां पिता तंजीन मोहम्मद खां से क्रय की थी। पिता की ९/५/०२ को मृत्यु हो गई। उत्तराधिकारी व वसीयत मेरे नाम हुई। लेकिन सर्वे न.-१८३ में १८५, १८६, १८७ व १८४/१ मिलाकर नया सर्वे न.- ३७३ कुल रकबा १५.४९० बना दिया। इसी में ३.०८८ भी शामिल है। इसे शासकीय दर्ज किया। मामला सुन अपर कलेक्टर ने हुजूर एसडीएम को जांच के निर्देश दिए। इसी प्रकार ग्राम खारपा के फूंदीलाल ने शासन द्वारा दिए गए जमीन के पट्टे का खसरा तहसील शाखा के कम्प्यूटर में दर्ज करने की गुहार लगाई। श्री कुर्रे ने एसडीएम हुजूर को तत्काल कार्रवाई के लिए लिखा।
यहां श्री कुर्रे के साथ डिप्टी कलेक्टर जीएस धुर्वे ने भी आवेदकों की समस्याओं को सुना।
-उपायुक्त ने दिए निर्देश
दूसरी ओर कमिश्नर कार्यालय में सात आवेदकों ने आवेदन दिए। कमिश्नर कार्यालय में उपायुक्त सीएल डोडियार ने आवेदकों की समस्याएं सुनीं। इन्हें निराकृत करने के लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।
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