- शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन करने बैठक आयोजित
भोपाल। किसी भी स्कूल का प्राचार्य कमजोर और वंचित समूह के व्यक्ति से दिए गए दस्तावेज के संबंध में यह अंडरटेकिंग तो ले सकता है कि उसने जो जानकारी दी है वह सही है अगर गलत पाई गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। किंतु उसके आवेदन को यह कहकर नहीं रोक सकता है कि उसके द्वारा दिए गए दस्तावेज परीक्षण में जायेंगे या दस्तावेज संदिग्ध हैं। यही नहीं यदि कोई आवेदक अपने बच्चे को बीपीएल, नि:शक्त, अनुसूचित जाति, जनजाति अथवा वन अधिकार पट्टाधारक की हैसियत से आवेदन करता है और दस्तावेज संलग्न नहीं करता है तब भी उसके आवेदन को शामिल किया जाए और उसे दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जाये।
यह निर्देश कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिले के निजी क्षेत्र के स्कूलों के प्राचार्यों की आयोजित बैठक में दिए। शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लेकर आयोजित बैठक में उन्होंने निजी शिक्षण संस्थाओं को एंट्री लेवल पर कुल सीटों के 25 प्रतिशत पर वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश देने को कहा। उन्होंने प्राचार्यो से कहा कि वह शिक्षा का अधिकार अधिनियम का गंभीरता से अध्ययन करें और अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना सुनिश्चित करें। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी सीएम उपाध्याय सहित सीबीएसई और आईएससी बोर्ड से स बद्ध स्कूलों के प्राचार्य मौजूद थे ।
-यह दिए निर्देश
- कोई भी व्यक्ति जो कमजोर और वंचित समूह का है वह अपने बच्चे को किसी भी निजी स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए सादे कागज पर आवेदन कर सकता है। आवेदन 8 फरवरी तक जमा किए जा सकते हैं।
- सभी स्कूलों के प्राचार्यों से कहा गया है कि पिछले वर्षों में इस बात की ज्यादा शिकायतें मिली थीं कि स्कूल वाले फार्म की पावती नहीं
देते और यहां तक कि आवेदन लेने से ही मना कर देते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा पावती देना जरूरी है।
- जो आवेदक अपना आवेदन संबंधित शैक्षणिक संस्था में नहीं पहुंचा पा रहा है तो वह अपने बच्चे के एडमिशन का फार्म जिला शिक्षा कार्यालय में भी जमा कर सकता है।
- कौन सा स्कूल किस वार्ड में निवास करने वाले व्यक्ति का पड़ोस का स्कूल है, कौन सा स्कूल विस्तारित पड़ोस की परिभाषा में आता है अर्थात किस स्कूल के लिए कौन व्यक्ति पड़ोस का है और कौन व्यक्ति विस्तारित पड़ोस का है इसकी जानकारी हर स्कूल में नोटिस बोर्ड पर चस्पा होना चाहिए।
- स्कूल में निर्धारित सीटों की तुलना में अधिक आवेदन आने पर प्रवेश के लिए 15 फरवरी को लाटरी निकाली जायेगी। लाटरी पूर्वान्ह 11 बजे के बाद होगी। हर स्कूल में लाटरी के लिए एक पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया जायेगा।
-सभी प्राचार्यों अपने मैनेजमेंट के साथ शिक्षण शुल्क का निर्धारण करें और उसकी घोषणा भी करें। फीस वही ली जायेगी जो घोषित
होगी, उससे अधिक कतई नहीं।
- छात्रों को किताब व यूनिफार्म किसी निर्धारित दुकान से लेने के लिए बाध्य न किया जाए।
भोपाल। किसी भी स्कूल का प्राचार्य कमजोर और वंचित समूह के व्यक्ति से दिए गए दस्तावेज के संबंध में यह अंडरटेकिंग तो ले सकता है कि उसने जो जानकारी दी है वह सही है अगर गलत पाई गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। किंतु उसके आवेदन को यह कहकर नहीं रोक सकता है कि उसके द्वारा दिए गए दस्तावेज परीक्षण में जायेंगे या दस्तावेज संदिग्ध हैं। यही नहीं यदि कोई आवेदक अपने बच्चे को बीपीएल, नि:शक्त, अनुसूचित जाति, जनजाति अथवा वन अधिकार पट्टाधारक की हैसियत से आवेदन करता है और दस्तावेज संलग्न नहीं करता है तब भी उसके आवेदन को शामिल किया जाए और उसे दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जाये।
यह निर्देश कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिले के निजी क्षेत्र के स्कूलों के प्राचार्यों की आयोजित बैठक में दिए। शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लेकर आयोजित बैठक में उन्होंने निजी शिक्षण संस्थाओं को एंट्री लेवल पर कुल सीटों के 25 प्रतिशत पर वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश देने को कहा। उन्होंने प्राचार्यो से कहा कि वह शिक्षा का अधिकार अधिनियम का गंभीरता से अध्ययन करें और अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना सुनिश्चित करें। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी सीएम उपाध्याय सहित सीबीएसई और आईएससी बोर्ड से स बद्ध स्कूलों के प्राचार्य मौजूद थे ।
-यह दिए निर्देश
- कोई भी व्यक्ति जो कमजोर और वंचित समूह का है वह अपने बच्चे को किसी भी निजी स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए सादे कागज पर आवेदन कर सकता है। आवेदन 8 फरवरी तक जमा किए जा सकते हैं।
- सभी स्कूलों के प्राचार्यों से कहा गया है कि पिछले वर्षों में इस बात की ज्यादा शिकायतें मिली थीं कि स्कूल वाले फार्म की पावती नहीं
देते और यहां तक कि आवेदन लेने से ही मना कर देते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा पावती देना जरूरी है।
- जो आवेदक अपना आवेदन संबंधित शैक्षणिक संस्था में नहीं पहुंचा पा रहा है तो वह अपने बच्चे के एडमिशन का फार्म जिला शिक्षा कार्यालय में भी जमा कर सकता है।
- कौन सा स्कूल किस वार्ड में निवास करने वाले व्यक्ति का पड़ोस का स्कूल है, कौन सा स्कूल विस्तारित पड़ोस की परिभाषा में आता है अर्थात किस स्कूल के लिए कौन व्यक्ति पड़ोस का है और कौन व्यक्ति विस्तारित पड़ोस का है इसकी जानकारी हर स्कूल में नोटिस बोर्ड पर चस्पा होना चाहिए।
- स्कूल में निर्धारित सीटों की तुलना में अधिक आवेदन आने पर प्रवेश के लिए 15 फरवरी को लाटरी निकाली जायेगी। लाटरी पूर्वान्ह 11 बजे के बाद होगी। हर स्कूल में लाटरी के लिए एक पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया जायेगा।
-सभी प्राचार्यों अपने मैनेजमेंट के साथ शिक्षण शुल्क का निर्धारण करें और उसकी घोषणा भी करें। फीस वही ली जायेगी जो घोषित
होगी, उससे अधिक कतई नहीं।
- छात्रों को किताब व यूनिफार्म किसी निर्धारित दुकान से लेने के लिए बाध्य न किया जाए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें