मंगलवार, 15 जनवरी 2013

तीन घंटे तक बंद रहा भदभदा पुल

-बैलगाड़ी, टै्रक्टर, जीपों ले भदभदा रोड पर डटे किसान, घंटों रहा जाम
-प्रशासन ने दिया १५ दिन कार्यवाही का आश्वासन 
-सीहारे-भदभदा मार्ग से लगे गांवों आवासीय घोषित करने की मांग 
-फिर याद आया किसानों का चक्का जमा 
भोपाल। 
राजधानी में मंगलवार को एक बार फिर किसानों ने अपना दबदबा दिखाया। भदभदा पुल को किसानों ने करीब ३ घंटे अपने कब्जे में रखा। सड़को पर बैलगाड़ी, ट्रैक्टर और जीपों को खड़ा कर वहां से आने और जाने वाला परिवहन पूरी तरह से ठप्प कर दिया। घटना करीब ११.३० बजे की है प्रशासन को इसकी जानकारी एक घंटे बाद लगी। १२.३० हरकत में आया प्रशासन और बातचीत का दौर शुरु हुआ तमाम प्रयासों के बाद भी किसानों ने अपना प्रदर्शन तीन घंटे से ज्यादा समय तक जारी रखा। इस दौरान मार्ग से गुजरने वाले स्कूल, कॉलेज और अन्य  लोगों को घंटों परेशान होना पड़ा। जिसके बाद एक बार फिर २० दिसंबर २०१० का दिन याद आ गया जब सेकड़ों किसानों ने पूरी राजधानी को जाम कर दिया था। इस बार राहत बस यह रही कि यह प्रदर्शन शहर भर में न होकर सिर्फ भदभदा तक ही सीमित रहा। वैसे किसानों की प्लानिंग सीएम हाउस तक जाने की थी।  मौके पर पहुंचे अधिकारियों द्वारा १५ दिन में कार्यवाही का आश्वासन के बाद किसान मुख्य सड़क से हटे। इससे पहले ११ बजे ८८ गांव के प्रतिनिधियों ने आमसभा कर रणनीति पर चर्चा की।  उल्लेखनीय है कि सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे यह किसान बीते २० दिन से भदभदा सीहोर विकास मार्ग संघर्ष समिति के बैनर तले शांतीपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे थे। 


तीन घंटे बस गुहार लगाता रहा प्रशासन 
सड़क पर डटे किसानों के प्रदर्शन स्थल से हटाने के लिए मौके पर प्रशासन का अमला एक घंटे बाद पहुंचा। सबसे पहले प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे नगर निगम उपायुक्त जीपी माली। श्री माली ने किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने। इसके आधे घंटे बाद अपर कलेक्टर बसंत कुर्रे पहुंचे उनके साथ एसडीएम राजेश श्रीवास्तव भी आए। इन्होंने भी किसानों को रास्ते से वाहन हटाने की गुहार लगाई लेकिन किसान नहीं मानें वे चाहते थे कि पहले प्रशासन भदभदा- सीहोर मार्ग के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र को आवासीय घोषित करें। प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे शासन स्तर का मामला बताते हुए मांग को शासन तक पहुंचाने की बात कही जिसके लिए किसानों से एक माह का समय मांग गया। लेकिन यह भी बेअसर रहा। इस बीच सड़क पर दोनों तरफ लंबा जाम लग चुका था। हालांकि कुछ किसानों ने अधिकारियों की बात मानी लेकिन बाकी तैयार नहीं हुए वे इस बात पर अड़े थे कि 15 दिन में ही उनकी मांगे पूरी होनी चाहिए यदि प्रशासन इस बात की तसल्ली देता है तभी वे सड़को से हटेंगे। जाम में १०८ एम्बुलेंस भी फस गई। जाम में फस ने के कारण वाहन को बाईं तरफ इसेे निकलने की कोशिश की गई, लेकिन भदभदा पुल पर किसानों की भीड़ में फस गई। इसे निकलने में आधा घंटा लग गया। इसके बाद दो और १०८ वाहन भी जाम में फसी रहीं। 

पुलिस भी बेबस नजर आई 
मौके पर आला प्रशासनिक अधिकारियों के मौजूदगी में पहुंची पुलिस भी थी। लेकिन जाम नहीं हटने पर भारी बल रातीबड़ थाने से बुलाया गया जो करीब १२.३० पहुंचा। लेकिन अधिकारियों के निर्देश न मिलने के कारण वे भी बस किसानों से गुहार ही लगाते रहे। प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी बड़ी संख्या में थी। जो कि सड़को पर बैठ गई थी। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच बहस भी हुई। मौके पर वज्र भी पहुंची थी लेकिन जाम के कारण वह भी आगे न आ सकी। 


-दोबारा लौट आए किसान 
बातचीत के दौर में एक मौका ऐसा भी आया कि धरना स्थल पर किसान आंदोलन खत्म करने को राजी हो रहे थे लेकिन जब प्रशासनिक अमले ने उनके इस तरह के प्रदर्शन को गलत बताया तो वे फिर सड़को पर आ गए । किसानों का कहना था कि वे 18 दिन से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे तब सरकार की तरफ से कोई क्यों नहीं आया। न ही हमारी बात को सरकार तक पहुंचाया गया।   


-परिजन पहुंचे बच्चों को लेने 
कड़ाके की ठंड के बाद मंगलवार को स्कूल खुले। लेकिन जमा के चलते इस क्षेत्र से निकलने वाली बसे जमा में फस गईं। सड़कों पर किसानों का जमावड़ा ठीक ११.३० से शुरू हुआ, इसी समय के बाद से स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी होती है। एक पीछे एक बस का रैला लग गया। वहीं सीहोर तरफ से आने वाले दो पहिया वाहन भी जमा में फस गए। जमा की खबर लगते ही छोटे बच्चों के परिजन उन्हें लेने पहुंचे। दिल्ली पब्लिक, बिला बॉन्ग और कई स्कूलों की बसों में परिजन अपने नन्हों को खोजते दिखे। 


-बलवा दर्ज 
पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कुल १८० लोगों पर बलवा दर्ज किया है इसमें ३० पुरुष और १५० महिलाएं शामिल है। हालांकि जिला प्रशासन ने बलवा प्रकरण दर्ज करने की बात से इनकार किया है। रातीबड़ थाने से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस प्रशासन ने यह बलवा दर्ज कराया है। 


-मांगे पूरी नहीं तो होगा उग्र प्रदर्शन 
किसानों का नेतृत्व कर रहे मस्तान सिंह मारण, प्रवक्ता अभिषेक त्यागी ने कहा कि १५ दिन में शासन-प्रशासन ने मांगों पर अमल नहीं किया तो आंदोलन की रूप रेखा इससे भी ज्यादा उग्र होगा। 'भदभदा सीहोर विकास मार्ग संघर्ष समितिÓ की तरफ से प्रवक्ता अभिषेक त्यागी ने बताया कि सभी किसानों ने आम सहमति बनाते हुए अलगी बैठक १ फरवरी को बुलाई है। बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। इससे पहले शासन का पक्ष जाना जाएगा। त्यागी ने कहा इससे पहले सरकार इस क्षेत्र को लेकर सकारात्मक निर्णय ले लेती है तो इसे स्थगित कर दिया जाएगा। वहीं ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन को उग्र करेंगे। १ फरवरी को ही तय किया जाएगा कि फिर आंदोलन कैसा और किस रूप में करना है। उन्होंने बताया सरकार नहीं मानती है तो करीब २५ हजार किसान शहर में सरकार को नीन्द से जगाने आएंगे। इसके बाद यह जाम अनिश्चित कालिन होगा। 


सीधी बात... (अभिषेक त्यागी, प्रवक्ता )
प्रश्न- आपको नहीं लगा बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक जाम किया इससे शहरवासियों को परेशानियां हुईं? 
उत्तर- प्रशासन ने हमें धरने की अनुमति दी थी, हमने वही किया। हम शासन-प्रशासन को उग्र आंदोलन की बात पहले से ही कहते आए हैं। 
प्रश्न- पर अचानक जाम से छोटे बच्चे परेशान हुए? 
उत्तर- हां, यह सही है, लेकिन आंदोलन पर डटे किसानों का समर्थन करना हमारा फर्ज है। हम उन्हीं की लड़ाई लड़ रहे हैं। 
प्रश्न- जाम के अलावा भी दूसरा रास्ता हो सकता था? 
उत्तर- २० दिन से धरना चल रहा है। इस बीच केवल एसडीएम ने सिर्फ आश्वासन दिया, जबकि सरकार की तरफ से किसी को आना चाहिए था। हमने किसी विकल्प पर चर्चा नहीं की। 

सीधी बात... (बसंत कुर्रे, अपर कलेक्टर)
प्रश्न- २० दिनों से धरना चल रहा है और आंदोलन की बात चल रही थी फिर चर्चा क्यों नहीं की गई? 
उत्तर- एसडीएम ने उन्हें आश्वासन दिया था। उनका मांग पत्र हमारे पास आ चुका है, जिससे पहले ही राज्य शासन को भेजने पर प्रशासनिक अधिकारियों के बीच चर्चा हो चुकी है। 
प्रश्न- जाम का जिम्मेदार कौन? 
उत्तर- धरना-प्रदर्शन, जमा और पुतला के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। धरने की अनुमति तो थी, लेकिन सड़कों पर किसान अपनी मर्जी से आए। जाम के जिम्मेदार किसान है। बिना अनुमति सड़कों पर उतरे किसान। 
प्रश्न- अब क्या कर रहे हैं? 
उत्तर- राज्य शासन को किसानों की मांग अनुसार पत्र भेजा जा रहा है। 

-पूरा मामला यहां से शुरु हुआ 
किसान भदभदा-सीहोर मार्ग से लगे क्षेत्र को आवासीय घोषित करने की मांग बीते पांच साल से कर रहे हैं। इसको लेकर कई बार शासन-प्रशासन को ज्ञापन भी दिया। धरने का नेतृत्व कर रहे मस्तान सिंह मारण ने कहा, भोपाल के चारो शासन ने विकास के साथ मूल भूत सुविधाएं मुहैया कराईं, लेकिन इससे भदभदा-सीहोर मार्ग क्षेत्र को वंचित रखा। यहां कालोनियां कट रहीं हैं, अन्य विकास हो रहा है पर पंचायत में आने के कारण प्रशासनिक स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है। १९९५ के मास्टर प्लान में यह रोड १८० फीट दर्शाई गई है, लेकिन केवल ४० फीट ही है। ८८ में से ४ ग्राम नगर निगम सीमा में आते हैं, लेकिन सुध नहीं ली जाती। ४ लाख की जनसंख्या के बीच अब तक एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। श्री मारण ने कहा, मांगे न माने जाने के बाद ही किसान धरने पर बैठे। मांगे मानी जाती है तो शासन को ही रेवन्यू मिलेगा। 


-यह हैं मांगे
१. भदभदा से रातीबड़ और सीहोर मार्ग पर स्थित गांवों को आवासीय घोषित किया जाए। 
२. भदभदा से रातीबड़ सीहोर मार्ग तक स्ट्रीट लाइट लगाएं। 
३. १९९५ के मास्टर प्लान के अनुसार १८० मार्ग चौड़ा किया जाए। 
४. यहां से सिटी बस चलाई जाए। 
५. कैचमेंट की परिभाषा को ग्रामीणों के सामने स्पष्ट किया जाए। 
६. मार्ग में बस स्टॉप, प्याउ और शौचालयों की व्यवस्था करें। 
७. क्षेत्र में बड़ा चिकित्सालय स्थापित किया जाए, यह आधुनिक सुविधाओं से लैस हो। 
८. सभी ग्रामों में पेयजल, सीवेज और विकास की मूलभूत सुविधाएं दी जाए। 
९. पुलिस थानों और चौकियों में बल बढ़ाया जाए। 
१०. मार्गों पर संकेत बोर्ड और स्पीड ब्रेकर बनाए जाए।

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