-पिछले तीन साल से चल रही है कवायद
-घटना-दुर्घटना पर ही उठता है मामला
भोपाल। भारी वाहनों को रोजाना शहर में होते प्रवेश तथा टाल के पीठों पर गाहे-बगाहे लगती आग से घटना-दुर्घटना होती ही रहती है। कभी जनहानि होती है तो कभी धनहानि। कुल मिलाकर नुकसान होना तय है। बावजूद इसके शहर में स्थापित ट्रांसपोटर्स व आरा मशीनों को शि ट करने की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। तीन साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन न तो जिला प्रशासन इस ओर कोई विशेष कदम उठा पा रहा है
और न ही अन्य विभाग। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इनकी शि िटंग होगी भी या नहीं? यदि होती तो कब? सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन की बेरूखी इनकी शि िटंग में रोड़ा बन रही है।
ट्रांसपोर्ट व्यावसायी
नगर निगम व बिजली विभाग की बेरूखी पड़ रही भारी
यह है स्थिति - कोकता स्थित रानी अवंतीबाई ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए 824 भूखंड काटे गए थे, इसमें 541 भूखंड ट्रांसपोर्टरों और 283 ाूखंड मैकेनिकों के लिए निर्धारित थे। प्रथम आओ प्रथम पाओ स्कीम के तहत इन भखंडों का वितरण किया गया। बावजूद इसके ट्रांसपोर्टर्स के लिए 194 और मैकेनिकों के लिए केवल 28 भूखंड खाली है,जिनका आवंटन होना है। यहीं नहीं जिनको प्लाट आवंटित कर दिए गए हैं। उनमें से भी करीब 60 या 70 ट्रासपोर्टरों ने ही कंस्ट्रक्शन किया है, जबकि अन्य ने बिल्डिंग परमीशन लेकर रख ली है। हालांकि जिला प्रशासन
पिछले तीन साल में ट्रांसपोर्टर्स व मैकेनिकों के साथ कई बार बैठकें कर चुके हैं, लेकिन नगर निगम व बिजली विभाग की अनदेखी की वजह से प्रक्रिया लटकी पड़ी हुई है। ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों का कहना है कि नगर निगम व विद्युत विभाग पानी और बिजली सहित अन्य बुनियादी व्यवस्थाएं नहीं कर पा रहा है। इसके चलते शि िटंग अटकी पड़ी हुई है। ट्रांसपोर्टरों का तो यहां तक कहना है कि नगर निगम व बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मीटिंग होने तक ही सक्रिय रहते हैं। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गत डेढ़ माह पहले हुई बैठक में तय किया गया था कि बिजली विभाग जल्द से जल्द ट्रांसफार्मर लगा देगा तथा नगर निगम नल कनेक्शन प्रदान कर देगा। हालात यह है कि दोनों व्यवस्थाएं अधूरी ही हैं।
यहां अटका मामला -
- जिन व्यावसायियों को प्लाट आवंटित हुए हैं, उनमें से अधिक प्लाट पर कंस्ट्रक्शन ही नहीं करना चाहते हैं।
- ट्रासपोर्टरों को लीज दी गई है, जबकि वह जमीन की एनओसी चाहते हैं। इसके चलते ट्रांसपोर्टरों को खटका बना हुआ है कि आज शहर के भीतर से हटाया जा रहा है, कल कोकता से भी हटवा दिया जाएगा।
- कुछ ट्रांसपोटर्स ने प्लाट पर निर्माण के लिए बिल्डिंग परमीशन नहीं ली है।
- मैकेनिकों के प्लाट आवंटन का मसला भी अटका हुआ है।
- पुराने शहर के ट्रांसपोटर्स शि िटंग में आनाकानी कर रहे हैं।
- बिजली विभाग अब तक न तो ट्रांसफार्मर लगवा सका है और न ही नगर निगम पानी के लिए नल कनेक्शन। अन्य व्यवस्थाएं भी जस की तस पड़ी हुई हैं।
आरा मशीन : लगातार लग रही आग से नहीं ले रहे सबक
यह है स्थिति - टिंबर मार्केट को शहर से बाहर ले जाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। 2007 में रविवार-सोमवार की दरमियानी रात बोगदापुल स्थित आरा मशीन में आग लगने के बाद ठंडे बस्ते में पड़े आरा मशीनों के शि िटंग के प्रोजेक्ट पर जिला प्रशासन ने काम करना शुरू किया। तीन चार जगह तलाशने के बाद चांदपुर की जगह चिन्हित की गई। इसके लिए बकायदा सीमांकन कर दिया गया, लेकिन मसला जमीन को लेकर अड़ गया। चिन्हित किए गए स्थान पर टिंबर मार्केट स्थिापित करने के लिए वन विभाग ने अधिसूचना जारी करने से मना कर दिया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि चिन्हित की गई जमीन के आठ किमी दूरी तक वन व आबादी नहीं होनी चाहिए तभी उस स्थान पर अनुमति दी जा सकती है। वर्तमान में शासन ने भी डी-नोटिफिकेशन जारी कर टिंबर मार्केेट की शि िटंग में आ रही बाधाओं को समाप्त कर दिया है। बावजूद इसके मामला अटका पड़ा हुआ है।
यहां अटका मामला
-नजूल वि ााग ने चंादपुर में इन आरा मशीनों की शि िटंग का एक प्रस्ताव बना कर आवास एवं पर्यावास वि ााग के पास अनुमति के लिए ोज दिया है। अनुमति अभी तक नहीं मिली है।
-घटना-दुर्घटना पर ही उठता है मामला
भोपाल। भारी वाहनों को रोजाना शहर में होते प्रवेश तथा टाल के पीठों पर गाहे-बगाहे लगती आग से घटना-दुर्घटना होती ही रहती है। कभी जनहानि होती है तो कभी धनहानि। कुल मिलाकर नुकसान होना तय है। बावजूद इसके शहर में स्थापित ट्रांसपोटर्स व आरा मशीनों को शि ट करने की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। तीन साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन न तो जिला प्रशासन इस ओर कोई विशेष कदम उठा पा रहा है
और न ही अन्य विभाग। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इनकी शि िटंग होगी भी या नहीं? यदि होती तो कब? सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन की बेरूखी इनकी शि िटंग में रोड़ा बन रही है।
ट्रांसपोर्ट व्यावसायी
नगर निगम व बिजली विभाग की बेरूखी पड़ रही भारी
यह है स्थिति - कोकता स्थित रानी अवंतीबाई ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए 824 भूखंड काटे गए थे, इसमें 541 भूखंड ट्रांसपोर्टरों और 283 ाूखंड मैकेनिकों के लिए निर्धारित थे। प्रथम आओ प्रथम पाओ स्कीम के तहत इन भखंडों का वितरण किया गया। बावजूद इसके ट्रांसपोर्टर्स के लिए 194 और मैकेनिकों के लिए केवल 28 भूखंड खाली है,जिनका आवंटन होना है। यहीं नहीं जिनको प्लाट आवंटित कर दिए गए हैं। उनमें से भी करीब 60 या 70 ट्रासपोर्टरों ने ही कंस्ट्रक्शन किया है, जबकि अन्य ने बिल्डिंग परमीशन लेकर रख ली है। हालांकि जिला प्रशासन
पिछले तीन साल में ट्रांसपोर्टर्स व मैकेनिकों के साथ कई बार बैठकें कर चुके हैं, लेकिन नगर निगम व बिजली विभाग की अनदेखी की वजह से प्रक्रिया लटकी पड़ी हुई है। ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों का कहना है कि नगर निगम व विद्युत विभाग पानी और बिजली सहित अन्य बुनियादी व्यवस्थाएं नहीं कर पा रहा है। इसके चलते शि िटंग अटकी पड़ी हुई है। ट्रांसपोर्टरों का तो यहां तक कहना है कि नगर निगम व बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मीटिंग होने तक ही सक्रिय रहते हैं। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गत डेढ़ माह पहले हुई बैठक में तय किया गया था कि बिजली विभाग जल्द से जल्द ट्रांसफार्मर लगा देगा तथा नगर निगम नल कनेक्शन प्रदान कर देगा। हालात यह है कि दोनों व्यवस्थाएं अधूरी ही हैं।
यहां अटका मामला -
- जिन व्यावसायियों को प्लाट आवंटित हुए हैं, उनमें से अधिक प्लाट पर कंस्ट्रक्शन ही नहीं करना चाहते हैं।
- ट्रासपोर्टरों को लीज दी गई है, जबकि वह जमीन की एनओसी चाहते हैं। इसके चलते ट्रांसपोर्टरों को खटका बना हुआ है कि आज शहर के भीतर से हटाया जा रहा है, कल कोकता से भी हटवा दिया जाएगा।
- कुछ ट्रांसपोटर्स ने प्लाट पर निर्माण के लिए बिल्डिंग परमीशन नहीं ली है।
- मैकेनिकों के प्लाट आवंटन का मसला भी अटका हुआ है।
- पुराने शहर के ट्रांसपोटर्स शि िटंग में आनाकानी कर रहे हैं।
- बिजली विभाग अब तक न तो ट्रांसफार्मर लगवा सका है और न ही नगर निगम पानी के लिए नल कनेक्शन। अन्य व्यवस्थाएं भी जस की तस पड़ी हुई हैं।
आरा मशीन : लगातार लग रही आग से नहीं ले रहे सबक
यह है स्थिति - टिंबर मार्केट को शहर से बाहर ले जाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। 2007 में रविवार-सोमवार की दरमियानी रात बोगदापुल स्थित आरा मशीन में आग लगने के बाद ठंडे बस्ते में पड़े आरा मशीनों के शि िटंग के प्रोजेक्ट पर जिला प्रशासन ने काम करना शुरू किया। तीन चार जगह तलाशने के बाद चांदपुर की जगह चिन्हित की गई। इसके लिए बकायदा सीमांकन कर दिया गया, लेकिन मसला जमीन को लेकर अड़ गया। चिन्हित किए गए स्थान पर टिंबर मार्केट स्थिापित करने के लिए वन विभाग ने अधिसूचना जारी करने से मना कर दिया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि चिन्हित की गई जमीन के आठ किमी दूरी तक वन व आबादी नहीं होनी चाहिए तभी उस स्थान पर अनुमति दी जा सकती है। वर्तमान में शासन ने भी डी-नोटिफिकेशन जारी कर टिंबर मार्केेट की शि िटंग में आ रही बाधाओं को समाप्त कर दिया है। बावजूद इसके मामला अटका पड़ा हुआ है।
यहां अटका मामला
-नजूल वि ााग ने चंादपुर में इन आरा मशीनों की शि िटंग का एक प्रस्ताव बना कर आवास एवं पर्यावास वि ााग के पास अनुमति के लिए ोज दिया है। अनुमति अभी तक नहीं मिली है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें