शनिवार, 19 जनवरी 2013

नए साल में काम के बोझ से मिलेगी रेल कर्मियों को निजात

रेलवे बोर्ड अध्यक्ष ने दिलाया रेल यूनियनों को नई भर्ती करने का भरोसा
काम के दौरान बेहतर हालात और नियमित मेडिकल चेकअप होगा मुहैया
संवाददाता, भोपाल
नए साल में रेल कर्मचारियों के लिए काम के दौरान बेहतर हालात होंगे, इसके साथ ही काम का बेवजह बढ़ा हुआ बोझ भी कम होगा। रेलवे बोर्ड नए साल में खाली पदों पर भर्ती करने के साथ ही कार्यस्थल के हालात में सुधार करने जा रहा है।
यह भरोसा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनय मित्तल ने उनसे मुलाकात करने वाली यूनियनों को दिलाया है। मुलाकात के बाद वेस्ट सेंट्रल रेलवे एंप्लाइज यूनियन के राजेश तिवारी, बलराम शर्मा, रवि जायसवाल और हेलेन माइकल ने बुधवार को बताया कि सेफ्टी कैटेगरी में हजारों की संख्या में पद रिक्त हैं, जिससे रेलकर्मचारियों को छुट्टी, रेस्ट इत्यादि समय पर नहीं मिल पा रहा है। बढ़े हुये कार्य एवं अतिरिक्त रेलगाडिय़ों के संचालन, नये नये स्टेशन और सेक्शन बनाने पर नए पद बनाकर भर्ती नहीं हो रही है।

रनिंग कर्मचारियों पर काम का बोझ
रनिंग कर्मचारी लोको पायलेट, सहायक लोको पायलेट एवं गार्ड को नियम विरूद्ध कार्य करने हेतु बाध्य किया जाता है और विरोध करने पर चार्जशीट देकर प्रताडि़त किया जा रहा है। इनको डयूटी के लिये 8 घंटे से कम की डयूटी करके आने पर 10 घंटें में कॉल कर 12 घंटे में तथा 8 घंटे से ज्यादा डयूटी करके आने पर 14 घंटे में कॉल कर 16 घंटे में डयूटी पर भेजा जा रहा है। ओवर टाईम बनने पर कटौती करने के लिये रनिंग स्टाफ की बुकिंग प्रोग्रेसिव हावर्स से की जा रही है। टे:नों को पुट बैक कर, स्टाफ को कीप-बैक करके नियम विरूद्ध बुकिंग की जाती है।       

तीसरी लाइन के लिए भर्ती नहीं
बीना-हबीबगंज सेक्शन में तीसरी लाईन चालू करने के लिये सीआरएस इन्सपेक्शन हो चुका है,  लेकिन ऑपरेटिंग विभाग जिसमें पैनल पर प्रति शिफ्ट 2 एएसएम आवश्यक होने के बाद भी ऑपरेटिंग विभाग एवं टीआरडी विभाग के लिये एक भी पद अभी तक स्वीकृत नही हुआ है । इंजीनियरिंग एवं एसएंडटी के लिये भी कम संख्या में पद स्वीकृत हुये है।

मेडिकल सेवाओं में सुधार
चिकित्सा सुविधाओं के अन्तर्गत रेफरल फेसीलिटी में सीजीएचएस की तरह बढोतरी की मांग करते हुए भोपाल में शुरु हो रहे एम्स में रेफरल सुविधा मांगी गई है। अभी तक रेल कर्मचारियों को मुम्बई, चेन्नई आदि स्थित अस्पतालों के लिये रेफर किया जाता है, जिसके कारण बीमार रेल कर्मचारी और उनके परिवार को समस्या का सामना करना पडता है।

काम का बढ़ता बोझ
विद्युत लोको शेड इटारसी में 130 लोको का स्टाफ है, जबकि काम 175 लोको का कराया जाता है। इससे कर्मचारियों को ड्यूटी आवर्स के बाद सीआर एवं डीआर पर कार्य के लिये रोका जाता है। इससे स्वस्यि पर असर पड़ रहा है। यहां काम की अधिकता को देखते हुए तत्काल भर्ती की जाए एवं समयोपरि भत्ता दिया जाये।

अंडर रेस्ट बुक का खौफ
वर्क टू रूल में 11 नियम कर्मचारियों के पक्ष में होने के बाद भी रेल प्रशासन पालन करने पर ध्यान नहीं दे रहा है। सिर्फ बुकिंग से संबंधित मात्र एक नियम ओवर टाईम को रोकने, कर्मचारियों को अण्डर रेस्ट  बुक करने के लिये हाथ धोकर पीछे पड़ा हुआ है। इससे रेल की संरक्षा, सुरक्षा के साथ यात्रियों की जान-माल के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

इन मांगों पर भी दिया गया जोर
-उत्पादकता आधारित बोनस भुगतान हेतु 3500 /प्रतिमाह वेतन की सीमा को बढ़ाया जाये।
-सभी कोटियों के गे्रड पे 2400 को 2800 में मर्ज किया जाये।
-नई पेंशन योजना को रद्द करके 1 जनवरी, 2004 से पूर्व लागू पुरानी योजना बहाल की जाए।
-नियमित कार्यो की आउट सोर्सिग बन्द की जाए, जो कि रेगुलेशन एण्ड एबोलिएशन एक्ट 1970 के प्रावधानों का उल्लंधन है।
-खाली रिक्तियों पर 1961 एक्ट अप्रेन्टिस उत्तीर्ण उम्मीदवारों को सब्सटीट्यूट में भर्ती किया जायें।
-ग्रुप सी के शीर्षस्थ पर्यवेक्षकों के 15 प्रतिशत पदों को ग्रुप बी में अपग्रेड किया जाये।
-मंडल एवं कारखाना स्तर पर सब्सीटियूट रेल कर्मचारी भर्ती की जाए।
-कैडर रिस्ट्रक्चरिंग, विभाग विसंगति समिति की सिफारिशें लागू की जाए। 

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