-88 गांव के प्रतिनिधि आज करेंगे विचार-मंथन
-भदभदा-सीहोर मार्ग क्षेत्र आवासीय घरने की मांग को लेकर धरना जारी
भोपाल।
भदभदा-सीहोर मार्ग क्षेत्र को आवासीय घोषित करने की मांग पर ध्यान न दिए जाने के बाद अब 88 गांव के प्रतिनिधि सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। मंगलवार को इन गांव के प्रतिनिधि अन्य प्रमुख मुद्दों पर भी विचार-मंथन करेंगे। बैठक में निर्णय लिया जाएगा कि शासन-प्रशासन किस तरह किसानों की ताकत दिखानी है।
सोमवार को इसको लेकर धरना स्थल पर ही पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मस्तान सिंह मारण ने बताया कि भोपाल के चारो तरफ विकास हुआ, इससे भदभदा-सीहोर मार्ग भी अछूता नहीं हैं, लेकिन इसे शासन ने मूल भूत सुविधाओं से वंचित रखा। १९९५ के मास्टर प्लान में यह रोड १८० फीट दर्शाई गई है, लेकिन केवल ४० फीट ही है। कुछ किसानों की जमीन तालाब के कैचमेंट एरिये में आने की बात अधिकारी करते हैं, लेकिन जब हमने कैचमेंट क्या है? और कैचमेंट का दायरा कैसे चिन्हित किया? ये सवाल किए जो उनके पास जवाब नहीं थे। अधिकारियों को खुद नहीं पता कैचमेंट एरिया क्या है? समिति के प्रवक्ता अभिषेक त्यागी ने कहा, शहर के अधिकांश अच्छे स्कूल-कालेज यहीं हैं। वहीं इस क्षेत्र को सुविधाओं से वंचित रखा गया है। ८८ में से ४ ग्राम नगर निगम सीमा में आते हैं, लेकिन सुध नहीं ली जाती। ४ लाख की जनसंख्या के बीच अब तक एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। ग्राम की बहु-बेटियों को रात-बे-रात तख्लीफ में शहर लेहर जाना होता है। मुख्य मार्ग पर स्ट्रीट लाइट न होने और सड़क चौड़ी न होने के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं। उल्लेखनीय है कि बीते १९ दिन से भदभदा सीहोर विकास मार्ग संघर्ष समिति के बैनर लते दर्जन भर से अधिक ग्रामीण धरने पर बैठे हैं।
-यह हैं मांगे
१. भदभदा से रातीबड़ और सीहोर मार्ग पर स्थित गांवों को आवासीय घोषित किया जाए।
२. भदभदा से रातीबड़ सीहोर मार्ग तक स्ट्रीट लाइट लगाएं।
३. १९९५ के मास्टर प्लान के अनुसार १८० मार्ग चौड़ा किया जाए।
४. यहां से सिटी बस चलाई जाए।
५. कैचमेंट की परिभाषा को ग्रामीणों के सामने स्पष्ट किया जाए।
६. मार्ग में बस स्टॉप, प्याउ और शौचालयों की व्यवस्था करें।
७. क्षेत्र में बड़ा चिकित्सालय स्थापित किया जाए, यह आधुनिक सुविधाओं से लैस हो।
८. सभी ग्रामों में पेयजल, सीवेज और विकास की मूलभूत सुविधाएं दी जाए।
९. पुलिस थानों और चौकियों में बल बढ़ाया जाए।
१०. मार्गों पर संकेत बोर्ड और स्पीड ब्रेकर बनाए जाए।
-भदभदा-सीहोर मार्ग क्षेत्र आवासीय घरने की मांग को लेकर धरना जारी
भोपाल।
भदभदा-सीहोर मार्ग क्षेत्र को आवासीय घोषित करने की मांग पर ध्यान न दिए जाने के बाद अब 88 गांव के प्रतिनिधि सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। मंगलवार को इन गांव के प्रतिनिधि अन्य प्रमुख मुद्दों पर भी विचार-मंथन करेंगे। बैठक में निर्णय लिया जाएगा कि शासन-प्रशासन किस तरह किसानों की ताकत दिखानी है।
सोमवार को इसको लेकर धरना स्थल पर ही पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मस्तान सिंह मारण ने बताया कि भोपाल के चारो तरफ विकास हुआ, इससे भदभदा-सीहोर मार्ग भी अछूता नहीं हैं, लेकिन इसे शासन ने मूल भूत सुविधाओं से वंचित रखा। १९९५ के मास्टर प्लान में यह रोड १८० फीट दर्शाई गई है, लेकिन केवल ४० फीट ही है। कुछ किसानों की जमीन तालाब के कैचमेंट एरिये में आने की बात अधिकारी करते हैं, लेकिन जब हमने कैचमेंट क्या है? और कैचमेंट का दायरा कैसे चिन्हित किया? ये सवाल किए जो उनके पास जवाब नहीं थे। अधिकारियों को खुद नहीं पता कैचमेंट एरिया क्या है? समिति के प्रवक्ता अभिषेक त्यागी ने कहा, शहर के अधिकांश अच्छे स्कूल-कालेज यहीं हैं। वहीं इस क्षेत्र को सुविधाओं से वंचित रखा गया है। ८८ में से ४ ग्राम नगर निगम सीमा में आते हैं, लेकिन सुध नहीं ली जाती। ४ लाख की जनसंख्या के बीच अब तक एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। ग्राम की बहु-बेटियों को रात-बे-रात तख्लीफ में शहर लेहर जाना होता है। मुख्य मार्ग पर स्ट्रीट लाइट न होने और सड़क चौड़ी न होने के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं। उल्लेखनीय है कि बीते १९ दिन से भदभदा सीहोर विकास मार्ग संघर्ष समिति के बैनर लते दर्जन भर से अधिक ग्रामीण धरने पर बैठे हैं।
-यह हैं मांगे
१. भदभदा से रातीबड़ और सीहोर मार्ग पर स्थित गांवों को आवासीय घोषित किया जाए।
२. भदभदा से रातीबड़ सीहोर मार्ग तक स्ट्रीट लाइट लगाएं।
३. १९९५ के मास्टर प्लान के अनुसार १८० मार्ग चौड़ा किया जाए।
४. यहां से सिटी बस चलाई जाए।
५. कैचमेंट की परिभाषा को ग्रामीणों के सामने स्पष्ट किया जाए।
६. मार्ग में बस स्टॉप, प्याउ और शौचालयों की व्यवस्था करें।
७. क्षेत्र में बड़ा चिकित्सालय स्थापित किया जाए, यह आधुनिक सुविधाओं से लैस हो।
८. सभी ग्रामों में पेयजल, सीवेज और विकास की मूलभूत सुविधाएं दी जाए।
९. पुलिस थानों और चौकियों में बल बढ़ाया जाए।
१०. मार्गों पर संकेत बोर्ड और स्पीड ब्रेकर बनाए जाए।
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