सोमवार, 21 जनवरी 2013

भोपाल जैसा हो चौपालों का विकास


-ग्राम पंचायतों को दस लाख तक का निर्माण कराने का अधिकार
-सरपंच से लेकर जिला पंचायतों अध्यक्षों का बढ़ाया मानदेय
-महापंचायत में मुयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की घोषणा
भोपाल।
   प्रदेश में पिछले आठ साल के दौरान हर क्षेत्र में विकास हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए मप्र शासन ने कई योजनाएं संचालित की है। सरकार चाहती है कि भोपाल की तरह प्रदेश की हर चौपाल का विकास हो। इसके लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। यह घोषणा मुयमंंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी के जंबूरी मैदान में त्रिस्तरीय पंचायतों की महापंचायत में की। महापंचायत में चालीस हजार से अधिक पंच, सरंपच, जनपद सदस्य, अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष उपस्थित थे।
    श्री चौहान ने जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि जनता की समस्याओं को पंचायत पदाधिकारी ही ठीक से समझते हैं, क्योंकि उनका जनता से सीधा संवाद होता है। मुयमंत्री ने कहा कि अब ग्राम पंचायतें 10 लाख तक के विकास कार्य करवा सकेंगी। आी तक पंचायतों को पांच लाा तक के कार्य कराने का अधिकार है। साथ ही कहा कि जिन ग्राम पंचायतों के पास स्वयं का भवन नहीं है, वे 15 लाख की लागत से भवन का निर्माण कराएं। उन्होंने कहा कि भवन में टीवी, इंटरनेट एवं वीडियो कांफें्रसिंग की व्यवस्था होगी। इसके लिए एक लाख रुपए का अतिरिक्त बजट दिया जाएगा। अब कार्य स्वीकृति के लिए प्रशासनिक जखडऩ नहीं रहेगी। पंचायतों की मांग पर मुयमंत्री ने धारा 40 के तहत सरपंचों पर होनी वाली कार्यवाही में ढिलाई देते हुए कहा कि अब कोई कलेक्टर सरपंचों को बेवजह परेशान नहीं करेगा। यदि ऐसा करता है तो राज्यमंत्री के यहां शिकायत कराएं। श्री चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों से कहा कि वे आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन, मिड डे मील, टीकाकरण, पोलिया अभियान और स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्था की निगरानी करें। साथ ही पंच, सरपंच अपने गांव में बच्चों को स्कूल भेजने की जवाबदारी भी तय करें। यदि ऐसा संभव हुआ तो आगामी पांच साल में ही प्रदेश की तस्वीर बदल जाएगी। श्री चौहान ने महापंचायत में कहा कि पंच परमेश्वर योजना में मनरेगा का पैसा लगाएं और मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का भुगतान समय पर होना चाहिए। अब अनावद्ध राशि 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी जाएगी। साथ ही मुयमंत्री ने कहा कि पंचायत सचिवों के तबादले सरपंचों की सहमति से ही होंगे। जो सरपंच पढ़े लिखे नहीं हैं उनके लिए लेखाकार की व्यवस्था करने पर भी विचार चल रहा है। मुयमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायतों की बैठक हर महीने बुलाई जाए और बैठक में उपस्थति के आधार पर पंचों को 100 रुपए का भत्ता दिया जाएगा। मुयमंत्री ने जनपद पंचायत एवं जिला पंचायतों से कहा कि वे अपने बजट का उपयोग करें। श्री चौहान ने कहा कि  अब किसी भी गांव में शराब की नई दुकान नहीं खोली जाएगी और न ही नई फैक्ट्री लगाई जाएगी। इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि गांवों का विकास होगा ताी प्रदेश और देश का विकास होगा। भाजपा राज में मध्यप्रदेश आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। कृषि में देश में नंबर एक हो चुका है। जिसके लिए राष्ट्रपति से अवार्ड भी मिल चुका है। महापंचायत को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुय सचिव अरुणा शर्मा ने संबोधित किया था।
-नलों से मिलेगा पानी
मुयमंत्री ने कहा कि गांवों में ऐसा विकास करना है कि शहर से लोग गांवों की ओर पलायन करें। इसके लिए गांवों का अधोसरंचना ढांचा बदला जाना जरूरी है। इसके लिए बिजली, पानी और सड़क पर ध्यान दिया जा रहा है। जून तक साी गांवों को 24 घंटे बिजली मिलेगी। 20 जनवरी से जबलपुर के गांवों से यह शुरूआत हो चुकी है। अब 500 तक की आबादी वाले गांवों को मुयमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यक से सड़क से जोड़ा जा रहा है। हर 2000 हजार की आबादी वाले गांवों में नलजल योजना के माध्यम से पानी घर-घर पहुंचाया जा रहा है। निर्मल भारत के तहत राज्य शासन द्वारा मर्यादा अभियान शुरू किया है। जिसके तहत हर घर में शौचालय बनाने के लिए 9 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
-वेतन पांच गुना बढ़ाया, फिर भी सरपंच असंतुष्ट
महापंचायत में मुयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरंपचों के मानदेय को 350 रुपए से पांच गुना बढ़ाकर 1750 रुपए करने की घोषणा की। इसके बावजूद भी सरपंच खुश नहीं थे। सरपंचों की दलील थी कि महंगाई के इस दौर में यह राशि काफी कम है। वहीं सरकार ने जिला पंचायत एवं जनपद सदस्य एवं अध्यक्षों के वेतन बढ़ाए जाने की घोषणा की।
किसको कितना मिलेगा वेतन
जनप्रतिनिधि                 वर्तमान     बढ़ाया
जिपं अध्यक्ष                  7000        11000
जिपं उपाध्यक्ष                5000        7000
जिपं सदस्य                   3000        4500
जनपद अध्यक्ष               2000        4000
जनपद उपाध्यक्ष             1600        2300
जनपद     सदस्य            1200        1800
सरपंच                          350          1750
पंच को हर बैठक में उपस्थित होने पर 100 रुपए का भत्ता मिलेगा।   

-केंद्र पर भेदभाव का आरोप
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंंत्री गोपाल भार्गव ने महापंचायत में केंद्र सरकार पर आवास वितरण के मामले में भेदभाव करने का आरोप लगाया। श्री भार्गव ने कहा कि प्रदेश में 52 हजार गांव और 23006 ग्राम पंचातय हैं। केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए मात्र 84 हजार आवास स्वीकृत किए। मतलब एक गांव के लिए डेढ़ आवास भी नहीं मिला। जबकि अन्य राज्य आंध्रप्रदेश को 6 लाख, बिहार को 6 लाख से अधिक आवास स्वीकृत किए। उन्होंने कहा कि मप्र को कम आवास देकर केंद्र सरकार ने भेदभाव किया है। उन्होंने कहा कि पंच परमेश्वर योजना के तहत इस साल पंचायतों को 14 अरब रुपए दिए गए। इस साल के लिए भी इतनी ही राशि का प्रावधान किया गया है।

 खास-खास घोषणा
-ग्राम पंचायत 10 लाख तक के कार्य करा सकेंगी।
-किसी गांव में नई शराब की दुकान नहीं खुलेगी।
-पंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक का मानदेय बढ़ाया
-नलों के माध्यम से मिलेगा गांवों में पेयजल
-हर घर में शौचालय बनाने के लिए 9 हजार रुपए का प्रावधान
-15 लाख से बनेगी नया पंचायत भवन।
-हर पंचायत भवन होगा ई-पंचायत।
-सरपंच करेंगे आंगनबाड़ी, स्कूल, मिड डे मील, टीकारण और पोलिया की निगरानी।
-अनावद्ध राशि 10 प्रतिश से बढ़ाकर 20 प्रतिशत होगी।
-सरपंचों की सहमति से होगें सचिवों के तबादले।
-अनपढ़ सचिवों को दिए जाएंगे लेखाकार।
-धारा 40 के तहत सरपंचों पर आसान नहीं होगी कार्रवाई।
-हर पंचायत को मिलेगा इंजीनियर।


-बड़े लोग
प्राइवेट सेक्टर की तर्ज पर हो सरकारी काम
पढऩे लिखने के बाद हर कोई सरकारी नौकरी पाने की चाह रखता है। इसके पीछे की वजह यह है कि सरकारी नौकरी में आने के बाद बिना दबाव के काम करने की स्वतंत्रता रहती है। बाबू से लेकर अफसर तक अपने काम को मर्जी से करते हैं। किस फाइल को कितना लटकाना है इसकी कोई समय-सीमा नहीं है। जबकि प्रायवेट कंपनी में तनवाह तो अच्छी मिलती है, लेकिन काम तनवाह से दोगुना लिया जाता है और काम तो समय पर ही करके देना ही होता है। सरकारी तंत्र की लचर कार्यप्रणाली को लेकर एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि अब सरकार को अपने तंत्र से प्रायवेट सेक्टर की तर्ज पर काम लेना चाहिए। यदि ऐसा हो गया तो रुक-रुककर चलने वाली फाइलें बिना बजन के सरपट दौडऩे लगेंगी। सरकारी तंत्र से मानदेय के अनुसार काम ाी लिया जा सकेगा


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