-सरकार नहीं चाहती होमगार्ड सैनिकों का वेतन बढ़ाना
-राज्य शासन ने अब तक नहीं माना हाईकोर्ट एवं मानव अधिकार आयोग का आदेश
हेमन्त पटेल, भोपाल।
09893711147.
राज्य शासन प्रदेश के १४ हजार से अधिक होमगार्ड सैनिकों के वेतन में वृद्धि करने को लेकर गंभीर नहीं है। यह इस बात से स्पष्ट होता है, जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने सैनिकों के सेवा-नियम व वेतन-भत्ते संबंधी आदेश दिए थे। बावजूद इसके सरकार ने अब तक आदेश पर विचार ही नहीं किया है।
आदेश के परिपालन को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी, हाईकोर्ट की अनुसंशाओं पर विचार करने की समय-सीमा भी समाप्त हो चुकी है। सरकार के गृह विभाग के पास यह रिपोर्ट है। अब समिति ने कोर्ट से दो महीने का और समय मांगा है। दूसरी ओर सैनिकों में नाराजगी व्याप्त है। सैनिकों का कहना है, शासन चाहता ही नहीं कि उनकी वेतन वृद्धि हो।
-बीता २४ घंटे का अल्टीमेटम
सेवा अधिनियम के ेतहत वेतन-भत्ते देने के लिए होमगार्ड सैनिकों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। इस पर कोर्ट की एकलपीट ने 2 दिसंबर 2012 को सेवा अधिनियम के तहत सैनिकों से काम लेने और वेतन मान देने आदेश दिए थे। शासन ने इस फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी। डबल बैंच ने भी एक पीठ के फैसले को बरकरार रखा और होमगार्डों भत्ता एवं सुविधाएं बढ़ाने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में शासन ने प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग की अध्यक्षा में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की। उच्च स्तरीय समिति ने चार महीने बाद 7 सितंबर 2012 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। रिपोर्ट की अनुश्ंासाओं पर शासन को 6 जनवरी 2013 तक फैसला लेना था। अब अनुसंशाओं पर विचार के लिए कोर्ट से दो महीने का समय और मांगा है। वहीं समय-सीमा में सरकार के फैसला न लेने पर सैनिकों ने होईकोर्ट में अपील की। इस पर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 19 जनवरी को फैसला दिया कि, सरकार 24 घंटे में उच्च स्तरीय समिति की अनुसंशाओं पर निर्णय लेकर कोर्र्ट को अवगत कराएं।
-दो १२ तक जवाब
हाईकोर्ट डबलबैंच ने आदेश का पालन न होने पर अपर मुख्य सचिव गृह व डीजी होमगार्ड फिर तलब किया है। शासन की तरफ से इन्हें 12 फरवरी तक कोर्ट में जवाब देना है। अब दोबार शासन की तरफ से इन अधिकारियों से पूछा जाएगा कि आखिर देरी क्यों की जा रही है?
-प्रस्ताव पर भी निर्णय नहीं
पूर्व डीजी नंदन दुबे ने करीब डेढ़ साल पहले सैनिकों की सुविधाओं में इजाफा किया था। उन्होंने इसी के साथ इनका दैनिक पारिश्रामिक 300 रुपए करने का प्रस्ताव भेजा था। ताज्जुब की बात यह है कि इस पर भी शासन ने किसी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया।
-एक नजर में
कुल सैनिक 14500
मानदेय प्रति दिन 110 रुपए
भोजन भत्ता प्रतिदिन 80 रुपए
-समय मांगा
हमने हाईकोर्ट से समय बढ़ाने का अनुरोध किया है। उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर 6 जनवरी तक विचार किया जाना था। किन्हीं कारणों से इस पर विचार नहीं हो पाया।
आईएस दांड़ी, अपर मुख्य सचिव, गृह
-शासन अमल नहीं चाहती
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार वेतन-भत्तों में इजाफा नहीं करना चाहती। उच्च स्तरीय समिति ने 7 सितंबर को ही अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। सैनिकोंं के हित में आदेश हुआ, लेकिन राज्य शासन अमल नहीं करना चाहती।
सुशील शर्मा, वरिष्ठ पदाधिकारी, होमगार्ड सैनिक संघ
-राज्य शासन ने अब तक नहीं माना हाईकोर्ट एवं मानव अधिकार आयोग का आदेश
हेमन्त पटेल, भोपाल।
09893711147.
राज्य शासन प्रदेश के १४ हजार से अधिक होमगार्ड सैनिकों के वेतन में वृद्धि करने को लेकर गंभीर नहीं है। यह इस बात से स्पष्ट होता है, जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने सैनिकों के सेवा-नियम व वेतन-भत्ते संबंधी आदेश दिए थे। बावजूद इसके सरकार ने अब तक आदेश पर विचार ही नहीं किया है।
आदेश के परिपालन को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी, हाईकोर्ट की अनुसंशाओं पर विचार करने की समय-सीमा भी समाप्त हो चुकी है। सरकार के गृह विभाग के पास यह रिपोर्ट है। अब समिति ने कोर्ट से दो महीने का और समय मांगा है। दूसरी ओर सैनिकों में नाराजगी व्याप्त है। सैनिकों का कहना है, शासन चाहता ही नहीं कि उनकी वेतन वृद्धि हो।
-बीता २४ घंटे का अल्टीमेटम
सेवा अधिनियम के ेतहत वेतन-भत्ते देने के लिए होमगार्ड सैनिकों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। इस पर कोर्ट की एकलपीट ने 2 दिसंबर 2012 को सेवा अधिनियम के तहत सैनिकों से काम लेने और वेतन मान देने आदेश दिए थे। शासन ने इस फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी। डबल बैंच ने भी एक पीठ के फैसले को बरकरार रखा और होमगार्डों भत्ता एवं सुविधाएं बढ़ाने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में शासन ने प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग की अध्यक्षा में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की। उच्च स्तरीय समिति ने चार महीने बाद 7 सितंबर 2012 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। रिपोर्ट की अनुश्ंासाओं पर शासन को 6 जनवरी 2013 तक फैसला लेना था। अब अनुसंशाओं पर विचार के लिए कोर्ट से दो महीने का समय और मांगा है। वहीं समय-सीमा में सरकार के फैसला न लेने पर सैनिकों ने होईकोर्ट में अपील की। इस पर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 19 जनवरी को फैसला दिया कि, सरकार 24 घंटे में उच्च स्तरीय समिति की अनुसंशाओं पर निर्णय लेकर कोर्र्ट को अवगत कराएं।
-दो १२ तक जवाब
हाईकोर्ट डबलबैंच ने आदेश का पालन न होने पर अपर मुख्य सचिव गृह व डीजी होमगार्ड फिर तलब किया है। शासन की तरफ से इन्हें 12 फरवरी तक कोर्ट में जवाब देना है। अब दोबार शासन की तरफ से इन अधिकारियों से पूछा जाएगा कि आखिर देरी क्यों की जा रही है?
-प्रस्ताव पर भी निर्णय नहीं
पूर्व डीजी नंदन दुबे ने करीब डेढ़ साल पहले सैनिकों की सुविधाओं में इजाफा किया था। उन्होंने इसी के साथ इनका दैनिक पारिश्रामिक 300 रुपए करने का प्रस्ताव भेजा था। ताज्जुब की बात यह है कि इस पर भी शासन ने किसी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया।
-एक नजर में
कुल सैनिक 14500
मानदेय प्रति दिन 110 रुपए
भोजन भत्ता प्रतिदिन 80 रुपए
-समय मांगा
हमने हाईकोर्ट से समय बढ़ाने का अनुरोध किया है। उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर 6 जनवरी तक विचार किया जाना था। किन्हीं कारणों से इस पर विचार नहीं हो पाया।
आईएस दांड़ी, अपर मुख्य सचिव, गृह
-शासन अमल नहीं चाहती
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार वेतन-भत्तों में इजाफा नहीं करना चाहती। उच्च स्तरीय समिति ने 7 सितंबर को ही अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। सैनिकोंं के हित में आदेश हुआ, लेकिन राज्य शासन अमल नहीं करना चाहती।
सुशील शर्मा, वरिष्ठ पदाधिकारी, होमगार्ड सैनिक संघ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें