-मामला नगर पालिका व चार ग्रामों को ननि में मिलाने का
-केवल १४ लोगों ने ही रखा न्यायालय में अपना पक्ष
-अधिकांशों ने कहा पानी मिलते तो करो विलय
भोपाल।
नगर पालिका कोलार और चार ग्रामों को नगर निगम में विलय करने को लेकर कलेक्टर न्यायालय में आई दावे-आपत्तियों पर मंगलवार को सुनवाई हुई। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने दावे-आपत्तियां प्रस्तुत करने वाले सभी लोगों को पक्ष रखने बुलाया था, लेकिन 22 लोगों में से केवल 14 ने ही पक्ष रखा। वहीं कुछ ऐसे भी जिन्होंने साफ कहा अगर कोलारवासियों को कोलार का ही पानी मिलता है तो वह विलय के लिए राजी हैं।
कलेक्टर न्यायालय में आई दावे-आपत्तियों में कुछ नपा विलय के समर्थन में तो कुछ विरोध में कलेक्टर ने सभी की सुनने के बाद कहा कि वे इस संबंध में कोई निर्णय नहीं कर सकते हैं। उन्हें शासन की तरफ से केवल पक्ष-विपक्ष सुनना का आदेश है, फैसले का नहीं। अब शासन को एक रिपोर्ट नगर पालिक अधिनियम की धारा 405 के तहत बना कर प्रस्तुत की जाएगी। इस पर अंतिम फैसला शासन को करना है। दावे-आपत्तियों को लेकर प्रशासन ने करीब 39 सौ दावे व आपत्तिकर्ताओं को कलेक्टर न्यायालय से नोटिस जारी किए थे। इनमें से
्रऐसे दावा-आपत्तियों को एक माना गया, जिनमें एक ही बात लिखी गई थी। इसके बाद 22 लोग शेष रह गए थे। सुनवाई करीब डेढ़ बजे शुरू हुई। इस दौरान अधिकांश लोगों ने विलय का समर्थन किया। वहीं विरोध जताने के साथ शर्त रखी कि कोलार को कोलार डेम का पानी मिले तो वे विलय के लिए मंजूर हैं। लोगों का कहना था कि आठ पंचायतों का विलय का नगर पालिका का गठन किया गया, अब इसका विलय नगर निगम में किया जा रहा है। ऐसे में पानी की समस्या तब से अब तक जस की तस बनी हुई है। पहले शासन पानी देने का लिखित अनुबंध करे।
-विधायक नहीं पहुंचे
कलेक्टर न्यायालय में मध्य विधायक ध्रुवनारायण सिंह के पहुंचने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन वह नहीं पहुंचे। श्री सिंह ने भी एक पत्र कलेक्टर को दिया था। इसमें उन्होंने उनका पक्ष सुनने को कहा था। इस दौरान उनका भी नाम पुकारा गया।
-स्टॉम्प पर दे पानी की गारंटी
नगर पालिका कोलार की पूर्व नपा अध्यक्ष मुन्नी यादव ने कहा कि सांसद व महापौर स्टॉम्प पर लिखकर दें कि कोलारवासियों को पानी दिया जाएगा। केन्द्र से पानी के लिए कोलार के लिए 52 करोड़ स्वीकृत किए हैं। श्रीमती यादव ने कहा नगर निगम के ऊपर वर्तमान में 650 करोड़ का कर्ज है, ऐसे में क्या गारंटी है कि नगर निगम में शामिल होने के बाद कोलार का विकास होगा। वहीं भार कोलारवासियों पर पड़ेगा।
-एमआईसी सदस्य बोले विलय हो
महापौर परिषद के सदस्य सुरजीत सिंह चौहान ने कलेक्टर न्यायालय में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, कोलार के साथ ही कटारा हिल्स, रातीबड़, नीलबड़ को भी नगर निगम में विलय किया जाए। इन क्षेत्रों में तेजी से बसाहट हो रही है, ऐसे में इनका विलय करना उचित होगा। इससे केन्द्रीय योजनाओं का फायदा यहां के रहवासियों को मिलेगा।
-योजनाओं का मिलेगा लाभ
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष भगवानदास सबनानी ने कहा, कालोर को नगर निगम में शामिल करने के साथ इस क्षेत्र को केन्द्र की योजनाओं का लाभ मिलेगा। अभी तक इन योजनाओं का लाभ नहीं मिलता, जिसमें बीआरटीए, मेट्रो, जेएनयूआरएम सहित अन्य योजनाएं शामिल हैं। निगम में शामिल होते ही इनका फायदा मिलेगा।
-कृषकों का होगा मरण
कालोर सहित ग्रामों को मिलाए जाने से सबसे ज्यादा मरण कृषकों का होगा। किसानों के घर से ज्यादा बड़े खलियान होते हैं। अभी खेती पर टैक्स नहीं लता फिर इसका भुगतान करना पड़ेगा। बोरदा व कालापानी पंचायत के ग्रामीणों ने यह बात कही। उन्होंने कहा पंचायतों का विलय नगर निगम में न किया जाए। ऐसा होते ही ग्रामीणों को जहां टैक्स भरना पड़ेगा, वहीं गरीब और निम्न तबके का गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा।
-इस कार्यकाल न करने विलय
वहीं बोरदा व कालापानी पंचायत के सरपंचों ने अपना पक्ष न्यायालय में कहा, उनका कार्यकाल अभी २०१५ तक बचा हुआ है। ऐसे में इन पंचायतों का भी विलय होता है तो ढाई साल का समय बर्बाद हो जाएगा।
-केवल १४ लोगों ने ही रखा न्यायालय में अपना पक्ष
-अधिकांशों ने कहा पानी मिलते तो करो विलय
भोपाल।
नगर पालिका कोलार और चार ग्रामों को नगर निगम में विलय करने को लेकर कलेक्टर न्यायालय में आई दावे-आपत्तियों पर मंगलवार को सुनवाई हुई। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने दावे-आपत्तियां प्रस्तुत करने वाले सभी लोगों को पक्ष रखने बुलाया था, लेकिन 22 लोगों में से केवल 14 ने ही पक्ष रखा। वहीं कुछ ऐसे भी जिन्होंने साफ कहा अगर कोलारवासियों को कोलार का ही पानी मिलता है तो वह विलय के लिए राजी हैं।
कलेक्टर न्यायालय में आई दावे-आपत्तियों में कुछ नपा विलय के समर्थन में तो कुछ विरोध में कलेक्टर ने सभी की सुनने के बाद कहा कि वे इस संबंध में कोई निर्णय नहीं कर सकते हैं। उन्हें शासन की तरफ से केवल पक्ष-विपक्ष सुनना का आदेश है, फैसले का नहीं। अब शासन को एक रिपोर्ट नगर पालिक अधिनियम की धारा 405 के तहत बना कर प्रस्तुत की जाएगी। इस पर अंतिम फैसला शासन को करना है। दावे-आपत्तियों को लेकर प्रशासन ने करीब 39 सौ दावे व आपत्तिकर्ताओं को कलेक्टर न्यायालय से नोटिस जारी किए थे। इनमें से
्रऐसे दावा-आपत्तियों को एक माना गया, जिनमें एक ही बात लिखी गई थी। इसके बाद 22 लोग शेष रह गए थे। सुनवाई करीब डेढ़ बजे शुरू हुई। इस दौरान अधिकांश लोगों ने विलय का समर्थन किया। वहीं विरोध जताने के साथ शर्त रखी कि कोलार को कोलार डेम का पानी मिले तो वे विलय के लिए मंजूर हैं। लोगों का कहना था कि आठ पंचायतों का विलय का नगर पालिका का गठन किया गया, अब इसका विलय नगर निगम में किया जा रहा है। ऐसे में पानी की समस्या तब से अब तक जस की तस बनी हुई है। पहले शासन पानी देने का लिखित अनुबंध करे।
-विधायक नहीं पहुंचे
कलेक्टर न्यायालय में मध्य विधायक ध्रुवनारायण सिंह के पहुंचने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन वह नहीं पहुंचे। श्री सिंह ने भी एक पत्र कलेक्टर को दिया था। इसमें उन्होंने उनका पक्ष सुनने को कहा था। इस दौरान उनका भी नाम पुकारा गया।
-स्टॉम्प पर दे पानी की गारंटी
नगर पालिका कोलार की पूर्व नपा अध्यक्ष मुन्नी यादव ने कहा कि सांसद व महापौर स्टॉम्प पर लिखकर दें कि कोलारवासियों को पानी दिया जाएगा। केन्द्र से पानी के लिए कोलार के लिए 52 करोड़ स्वीकृत किए हैं। श्रीमती यादव ने कहा नगर निगम के ऊपर वर्तमान में 650 करोड़ का कर्ज है, ऐसे में क्या गारंटी है कि नगर निगम में शामिल होने के बाद कोलार का विकास होगा। वहीं भार कोलारवासियों पर पड़ेगा।
-एमआईसी सदस्य बोले विलय हो
महापौर परिषद के सदस्य सुरजीत सिंह चौहान ने कलेक्टर न्यायालय में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, कोलार के साथ ही कटारा हिल्स, रातीबड़, नीलबड़ को भी नगर निगम में विलय किया जाए। इन क्षेत्रों में तेजी से बसाहट हो रही है, ऐसे में इनका विलय करना उचित होगा। इससे केन्द्रीय योजनाओं का फायदा यहां के रहवासियों को मिलेगा।
-योजनाओं का मिलेगा लाभ
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष भगवानदास सबनानी ने कहा, कालोर को नगर निगम में शामिल करने के साथ इस क्षेत्र को केन्द्र की योजनाओं का लाभ मिलेगा। अभी तक इन योजनाओं का लाभ नहीं मिलता, जिसमें बीआरटीए, मेट्रो, जेएनयूआरएम सहित अन्य योजनाएं शामिल हैं। निगम में शामिल होते ही इनका फायदा मिलेगा।
-कृषकों का होगा मरण
कालोर सहित ग्रामों को मिलाए जाने से सबसे ज्यादा मरण कृषकों का होगा। किसानों के घर से ज्यादा बड़े खलियान होते हैं। अभी खेती पर टैक्स नहीं लता फिर इसका भुगतान करना पड़ेगा। बोरदा व कालापानी पंचायत के ग्रामीणों ने यह बात कही। उन्होंने कहा पंचायतों का विलय नगर निगम में न किया जाए। ऐसा होते ही ग्रामीणों को जहां टैक्स भरना पड़ेगा, वहीं गरीब और निम्न तबके का गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा।
-इस कार्यकाल न करने विलय
वहीं बोरदा व कालापानी पंचायत के सरपंचों ने अपना पक्ष न्यायालय में कहा, उनका कार्यकाल अभी २०१५ तक बचा हुआ है। ऐसे में इन पंचायतों का भी विलय होता है तो ढाई साल का समय बर्बाद हो जाएगा।
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