सोमवार, 14 जनवरी 2013

पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थ्यिां गंगा में विसर्जित की जाएंगी -पाक उच्चायेग को जन भारती सेवा संस्था ने लिखा पत्र ,भोपाल

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के बाद अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने से व्यक्ति को पूर्ण रूप से मुक्ति मिलती है। पाकिस्तान में करीब 240 हिन्दुओं की अस्थियां गगा में विसर्जन करने के लिए रखी हुई हैं, लेकिन  मृतकों के परिजन नहीं होने के कारण अस्थियों का विसर्जन नहीं हो सका है। पाक में रखी हिन्दुओं की अस्थियों को गंगा में लाकर विसर्जित करने के लिए जन भारती सेवा संस्थान भोपाल आगे आया है। अस्थियों को भारत लाने के लिए संस्था की ओर से पाक उच्चायोग को एक पत्र लिखा गया है। जन भारती सेवा संस्था के अध्यक्ष रामकुमार पासी पेशे से हरदा जिले में नगर पालिका अधिकारी हैं। शासकीय सेवा के साथ-साथ उन्होंने जन सेवा का काम भी शुरू किया है। उन्होंने बताया कि वे अभी तक 103 से अधिक अस्थियों को इलाहाबाद गंगा में विधि-विधान से विसर्जित कर चुके हैं। श्री पासी ने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा समाचार पत्रों में विश्रामघाटों में विसर्जन के इंतजार में राी अस्थियों की खबर पढ़कर मिली। इसके बाद उन्होंने भदभदा स्थित विश्रामघाट प्रबंधन को 103 अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने की इच्छा जताई। प्रबंधन ने सभी अस्थियों को गंगा में हिन्दू रीति-रिवाज के साथ विसर्जित किया। इसके साथ ही तर्पण, गौदान, बालदान, मृत्युभोज एवं शांति यज्ञ का आयोजन भी कराया था। रामकुमार पासी ने बताया कि उन्हें पाक में रह रहे हिन्दुओं के माध्यम से पता लगा है कि वहां 240 अस्थियां गंगा विसर्जन को रखी हुई हैं, लेकिन मरने वालों का कोई वारिस नहीं होने की वजह से यह संभव नहीं हो सका है। अब उन अस्थियों को भारत लाकर गंगा में विसर्जित करने के लिए पाक उच्चायोग को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। श्री पासी ने कहा कि यदि पाक सरकार इसकी अनुमति देती है तो इस काम जरूर करेंगे। उन्होंने बताया कि अस्थियां विसर्जन के लिए उन्होंने राज्य शासन को भी पत्र लिखा है। यदि किसी भी विश्रामघाट में अस्थि रखी है तो जन सेवा भारती समिति को इसकी सूचना दें। समिति द्वारा अस्थि का विसर्जन किया जाएगा। समिति के संरक्षक अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि हिन्दू मान्यता के अनुसार जन्म से लेकर मरण तक 16 संस्कार होते हैं। जिनमें से दाह संस्कार अंतिम संस्कार होता है। जिसमें अस्थि विसर्जन भी शामिल है। 

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