सोमवार, 7 जनवरी 2013

सपना था सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना

    श्रीलंका महाबोधि सोसायटी के अध्यक्ष बानगल उपतिस्स नायक थेरो ने कहा
भोपाल। सांची में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना मेरा सपना था। जो चार महीने पहले 21 सितंबर को सांची में आयोजित गरिमामयी समारोह में विश्वविद्यालय की आधारशिला रखे जाने के बाद से पूरा होने जा रहा है। इस समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और भूटान के राष्ट्रपति जिग्मी थनले, राज्यपाल रामनरेश यादव, मुयमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा समेत दो दर्जन से अधिक राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। यह बात श्रीलंका महाबोधि सोसायटी ऑफ सांची के अध्यक्ष बानगल उपतिस्स नायक थेरो ने कही।
    श्री बानगल उपतिस्स नायक थेरो का जन्म 5 जनवरी 1950 को श्रीलंका में हुआ था। इसके बाद वे सांची आ गए। उनका बचपन सांची में ही व्यतीत हुआ। सांची से ही बुद्ध संदेश श्रीलंका गया था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हाई स्कूल तक की शिक्षा सांची में रहकर ही पूरी की। उच्च शिक्षा उन्होंने भोपाल विश्वविद्यालय से पूरी की। आज वे खुद को सांची से अलग नहीं मानते हैं, सांची उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है और आत्यात्मिक रूप से भी संाची से जुड़ चुके हैं। अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने श्रीलंका से दूरभाष पर चर्चा करते हुए बताया कि सांची विश्वविद्यालय की योजना 31 अक्टूबर 2009 को राी जा चुकी है। इस दिन मुयमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने महाबोधि सोसायटी सांची केन्द्र में एक नए भवन वंदना निकेतन का शुभारंभ किया था। इसी दौरान मुयमंत्री के समक्ष सांची विवि की स्थापना की योजना रखी थी। इस समय मुयमंत्री ने विवि के निर्माण के लिए 65 एकड़ जमीन देने की मंशा जाहिर की थी। विवि की स्थापना के बाद से शासन ने विवि के लिए 100 एकड़ जमीन देने की घोषणा की है। श्री बानगल उपतिस्स नायक थेरो ने बताया कि भगवान बुद्ध की शिक्षा और दर्शन को विश्व के देशों तक पहुंचाना मेरा सपना है। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से यह सचमुच संभव हो गया है। उन्होंने सांची का इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक के पुत्र अर्हंत महिन्द और पुत्री थेरनी संघमित्रा बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका गए थे। संघमित्रा सांची से बोधि नाम का पौधा लेकर गईं थी। जो वर्तमान में श्रीलंका के अनुराधपुर में मौजद है। उसी पौधे को 21 सितंबर को श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने सांची में स्थापित किया था।
    
इनका कहना है
बानगल उपतिस्स नायक थेरो ने नि:स्वार्थ भाव से बौद्ध धर्म की समृद्धि के लिए काम किया है। उनके अथक प्रयास का नतीजा है कि सांची में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना हो सकी। उनको जन्मदिन पर मेरी ओर से शुभकामनाएं
जेंसी इटो
अध्यक्ष एएससीए ओवर्सीज कल्चर एक्सलेज, जापान
 

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