-विज्ञापन नहीं, बैंकों के ट्रांजेक्शन की भी ली जाएगी जानकारी
-जिला मूल्यांकन समिति की दूसरी बैठक में भी कोई निर्णय नहीं
भोपाल, दबंग रिपोर्टर
कलेक्टर कार्यालय में गुरुवार को जिला मूल्यांकन समिति की दूसरी बैठक हुई, लेकिन यह भी कोई निर्णायक नहीं रही। वर्ष २०१३-१४ के लिए प्रस्तावित गाइडलाइन में २०० से ३०० प्रतिशत तक दरों में बढ़ोत्तरी के विरोध में समिति सदस्यों ने ही आवाज मुखर कर दी है। सरकारी एजेंसियां भी अब भाव बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। कलेक्टर ने आम सहमति बनाने अब दोबारा सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।
समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने सदस्यों और हाउसिंग बोर्ड, बीडीए की तरफ से उपस्थित अधिकारियों की बात सुन कहा, केवल विज्ञापन को आधार मान नहीं, बल्कि प्रापर्टी पर बैंक का ट्रांजेक्शन भी देखा जाए। बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों का कहना था कि जमीनों के भाव कम किए जाएं। कुछ स्थानों के भाव वास्तविक बाजार मूल्य से कहीं अधिक हैं। कलेक्टर ने भी माना कि जमीन की कीमतें वास्तविक बाजार मूल्य से अधिक नजर आ रही है। उन्होंने अफसरों को निर्देशित किया कि वे जमीनों के भाव के लिए जमीनी हकीकत देंखे। सर्वे में पारदर्शिता बर्ते और आम आदमी के नजरिए से सर्वे करें। अब समिति की तीसरी बैठक अगले सप्ताह होगी। बैठक की तारीख तय नहीं की जा सकी है।
आप भी दर्ज कराएं आपत्ति
अगर आप प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन में किसी प्रकार का सुझाव या आपत्ति दर्ज कराना चाहते हैं तो दर्ज करा सकते हैं। कलेक्टर ने कहा आम आदमी और बिल्डर्स अपनी बात रख सकते हैं। कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने कहा, वर्तमान में आई आपत्तियों पर विचार किया जा रहा है। आगे भी जो सुझाव या आपत्तियां आएंगी उन पर विचार होगा।
विधायक फिर नदारद
दूसरी बैठक में भी विधायक धु्रवनारायण सिंह नहीं पहुंचे। पहली बैठक में उन्होंने व्यस्तता होने के कारण उपस्थिति में असमर्थता जताई थी। वहीं दूसरी बैठक में उपस्थित होने को कहा था। हालांकि समिति सदस्यों ने उनका इंताजर किया। यही कारण रहा कि पहले बैठक दोपहर 12 बजे रखी गई थी। इसके बाद इसे दोपहर 2 बजे कर दिया गया।
इन्होंने जताई आपत्ति
हाउसिंग बोर्ड के अफसर ने बोर्ड द्वारा निर्मित प्रोजेक्टों सहित वहां की जमीनों के भाव बढ़ाए जाने पर आपत्ति जताई है। इनका कहना था, जमीनों की कीमतें वहीं रखी जानी चाहिए, इससे उपभोक्ताओं पर भार नहीं पड़ेगा। अगर रेट बढ़े तो ईडब्ल्यूएस व एलआईजी मकान लेने वालों को अधिक मूल्य पर रजिस्ट्री नहीं करानी होगी। वे बोले हाउसिंग बोर्ड ने तीन साल पहले जिस कालोनी निर्माण व बुकिंग की थी, उसका पजेशन अब दिया जा रहा है, ऐसे में बढ़े हुए दामों के आधार पर रजिस्ट्री करानी होगी। बोर्ड चाहता है, के्रताओं को पूर्व की दरों पर ही रजिस्ट्री करनी पड़े। कलेक्टर ने भी इस बात को माना और अधिकारियों से कहा, बोर्ड के एचआईजी, एलआईजी व ईडब्ल्यूएस के रेट अलग-अलग रखे जाएं।
कोई औचित्य नहीं
फोन पर हुई चर्चा में विधायक धु्रवनारायण सिंह ने कहा, जमीनों के दाम बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए जहां मकान बनाए जाने हैं तो वहां तो बिल्कुल भी बढ़ोत्तरी नहीं होनी चाहिए। वैसे भी जमीनों के दर निर्धारण के लिए करवाए गए सर्वे में कई तथ्य स्पष्ट नहीं है। कोई भी बिल्डर या किसान किसी छुपी कीमत पर खरीद फरोख्त नहीं करता, क्योंकि कई एजेंसियां है, जो इस पर नजर रखती हैं। सारा लेन देन व्हाइट में ही होता है। विधायक सिंह ने जिला मूल्याकंन समिति की बैठक में नहीं पहुंचने के बारे में साफ किया कि, उनकी कलेक्टर से बात हो चुकी है और कई बिंदुओं पर अभी और परीक्षण की आवश्यकता है। वैसे भी 31 मार्च तक गाइड लाइन को फाइनल करना है तो उससे पहले कर लिया जाएगा।
कृषि भूमि पहले ही महंगी
कृषि भूमि और केचमेंट में आने वाली गांवों की जमीनों के भाव नहीं बढ़ाने का प्रस्ताव में मैंने रखा है। कृषि भूमि पहले से ही महंगी है। गाइडलाइन में दरें बढ़ाई जाती हैं तो कृषि करना महंगा हो जाएगा।
अनोखीमान सिंह पटेल, सदस्य
-गरीब की भी सोचो
प्रस्तावित गाइडलाइन में २०० से ३०० प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की जा रही है। जो किराए के घर में या झुग्गी में गुजर बसर कर रहे हैं, ऐसे में तो वह कभी अपने छत तो बना ही नहीं पाएंगे। अधिकारियों को जमीनी हकीकत देखनी चाहिए।
सुरेश गुप्ता, बिल्डर
-प्रस्तावित गाइडलाइन में दरों पर फिर से गौर किया जाना चाहिए। पहले ही काफी भाव जमीनों के हैं।
अजय मोहगावंकर, अध्यक्ष, क्रेडाई
-जिला मूल्यांकन समिति की दूसरी बैठक में भी कोई निर्णय नहीं
भोपाल, दबंग रिपोर्टर
कलेक्टर कार्यालय में गुरुवार को जिला मूल्यांकन समिति की दूसरी बैठक हुई, लेकिन यह भी कोई निर्णायक नहीं रही। वर्ष २०१३-१४ के लिए प्रस्तावित गाइडलाइन में २०० से ३०० प्रतिशत तक दरों में बढ़ोत्तरी के विरोध में समिति सदस्यों ने ही आवाज मुखर कर दी है। सरकारी एजेंसियां भी अब भाव बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। कलेक्टर ने आम सहमति बनाने अब दोबारा सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।
समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने सदस्यों और हाउसिंग बोर्ड, बीडीए की तरफ से उपस्थित अधिकारियों की बात सुन कहा, केवल विज्ञापन को आधार मान नहीं, बल्कि प्रापर्टी पर बैंक का ट्रांजेक्शन भी देखा जाए। बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों का कहना था कि जमीनों के भाव कम किए जाएं। कुछ स्थानों के भाव वास्तविक बाजार मूल्य से कहीं अधिक हैं। कलेक्टर ने भी माना कि जमीन की कीमतें वास्तविक बाजार मूल्य से अधिक नजर आ रही है। उन्होंने अफसरों को निर्देशित किया कि वे जमीनों के भाव के लिए जमीनी हकीकत देंखे। सर्वे में पारदर्शिता बर्ते और आम आदमी के नजरिए से सर्वे करें। अब समिति की तीसरी बैठक अगले सप्ताह होगी। बैठक की तारीख तय नहीं की जा सकी है।
आप भी दर्ज कराएं आपत्ति
अगर आप प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन में किसी प्रकार का सुझाव या आपत्ति दर्ज कराना चाहते हैं तो दर्ज करा सकते हैं। कलेक्टर ने कहा आम आदमी और बिल्डर्स अपनी बात रख सकते हैं। कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने कहा, वर्तमान में आई आपत्तियों पर विचार किया जा रहा है। आगे भी जो सुझाव या आपत्तियां आएंगी उन पर विचार होगा।
विधायक फिर नदारद
दूसरी बैठक में भी विधायक धु्रवनारायण सिंह नहीं पहुंचे। पहली बैठक में उन्होंने व्यस्तता होने के कारण उपस्थिति में असमर्थता जताई थी। वहीं दूसरी बैठक में उपस्थित होने को कहा था। हालांकि समिति सदस्यों ने उनका इंताजर किया। यही कारण रहा कि पहले बैठक दोपहर 12 बजे रखी गई थी। इसके बाद इसे दोपहर 2 बजे कर दिया गया।
इन्होंने जताई आपत्ति
हाउसिंग बोर्ड के अफसर ने बोर्ड द्वारा निर्मित प्रोजेक्टों सहित वहां की जमीनों के भाव बढ़ाए जाने पर आपत्ति जताई है। इनका कहना था, जमीनों की कीमतें वहीं रखी जानी चाहिए, इससे उपभोक्ताओं पर भार नहीं पड़ेगा। अगर रेट बढ़े तो ईडब्ल्यूएस व एलआईजी मकान लेने वालों को अधिक मूल्य पर रजिस्ट्री नहीं करानी होगी। वे बोले हाउसिंग बोर्ड ने तीन साल पहले जिस कालोनी निर्माण व बुकिंग की थी, उसका पजेशन अब दिया जा रहा है, ऐसे में बढ़े हुए दामों के आधार पर रजिस्ट्री करानी होगी। बोर्ड चाहता है, के्रताओं को पूर्व की दरों पर ही रजिस्ट्री करनी पड़े। कलेक्टर ने भी इस बात को माना और अधिकारियों से कहा, बोर्ड के एचआईजी, एलआईजी व ईडब्ल्यूएस के रेट अलग-अलग रखे जाएं।
कोई औचित्य नहीं
फोन पर हुई चर्चा में विधायक धु्रवनारायण सिंह ने कहा, जमीनों के दाम बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए जहां मकान बनाए जाने हैं तो वहां तो बिल्कुल भी बढ़ोत्तरी नहीं होनी चाहिए। वैसे भी जमीनों के दर निर्धारण के लिए करवाए गए सर्वे में कई तथ्य स्पष्ट नहीं है। कोई भी बिल्डर या किसान किसी छुपी कीमत पर खरीद फरोख्त नहीं करता, क्योंकि कई एजेंसियां है, जो इस पर नजर रखती हैं। सारा लेन देन व्हाइट में ही होता है। विधायक सिंह ने जिला मूल्याकंन समिति की बैठक में नहीं पहुंचने के बारे में साफ किया कि, उनकी कलेक्टर से बात हो चुकी है और कई बिंदुओं पर अभी और परीक्षण की आवश्यकता है। वैसे भी 31 मार्च तक गाइड लाइन को फाइनल करना है तो उससे पहले कर लिया जाएगा।
कृषि भूमि पहले ही महंगी
कृषि भूमि और केचमेंट में आने वाली गांवों की जमीनों के भाव नहीं बढ़ाने का प्रस्ताव में मैंने रखा है। कृषि भूमि पहले से ही महंगी है। गाइडलाइन में दरें बढ़ाई जाती हैं तो कृषि करना महंगा हो जाएगा।
अनोखीमान सिंह पटेल, सदस्य
-गरीब की भी सोचो
प्रस्तावित गाइडलाइन में २०० से ३०० प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की जा रही है। जो किराए के घर में या झुग्गी में गुजर बसर कर रहे हैं, ऐसे में तो वह कभी अपने छत तो बना ही नहीं पाएंगे। अधिकारियों को जमीनी हकीकत देखनी चाहिए।
सुरेश गुप्ता, बिल्डर
-प्रस्तावित गाइडलाइन में दरों पर फिर से गौर किया जाना चाहिए। पहले ही काफी भाव जमीनों के हैं।
अजय मोहगावंकर, अध्यक्ष, क्रेडाई
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