शासकीय स्कूलों में मिलने वाले भोजन में अब तीन दिन इडली-सांभर मिलेगा। प्रस्ताव को मंजूर मिलते ही जिले के स्कूलों में इसे लागू कर दिया जाएगा।
यह सब सप्ताह में ३ दिन मध्यान्ह भोजन में मिलेगा। फिलहाल बच्चों को रोटी, पूरी, सब्जी और दाल मिलती है। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नांदी फाउंडेशन ने इस संबंध में एक प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव को जिला पंचायत ने ले लिया है, लेकिन अंतिम मोहर नहीं लगाई है। सीईओ को सौंपे ज्ञापन में मध्यान्ह भोजन के मेन्यू में बदलाव का जिक्र किया है। जिले के सभी शासकीय स्कूलों में इडली, सांभर और चटनी देने की बात कही है। शेष अन्य ३ दिन रोटी, सब्जी और दाल-चावल आदि दिया जाएगा। सीईओ ने प्रस्ताव शासन को अनुमति के लिए भेजा दिया है। अंतिम इजाजत मिलते ही इसे लागू किया जाएगा।
स्वाद में परिवर्तन
बच्चों को स्वाद में परिवर्तन की कोशिश के साथ शिकायत को कम करना भी इसके पीछे एक कारण बताया जा रहा है। अभी मध्यान्ह भोजन में सबसे ज्यादा कच्ची या जली हुई रोटियों परोसे जाने की शिकायतें मिल नहीं हैं। वहीं दाल और सब्जी को लेकर भी कई बार बातें उठ चुकी हैं। नांदी फाउंडेशन मशीनों से जो रोटियां बनवाता है वे कच्ची जैसी दिखती हैं। वहीं शहरी बच्चों को एलपीजी गैस पर सिकी रोटियां खाने की आदत है। मेन्यू बदलने के बाद बच्चों को भोजन में नवीनता मिलेगी, वहीं शिकायतों से भी निजात मिलेगी।
नांदी फाउंडेशन से मध्यान्ह भोजन में परिवर्तन किए जाने का प्रस्ताव मिला है। प्रस्ताव में ३ दिन इडली-सांभर देने की बात कही गई है। शासन के लिए भेज दिया गया है। अनुमति मिलने के साथ इसे लागू किया जा सकता है। निर्णय अब शासन को लेना है।
राकेश श्रीवास्तव, सीईओ, जिला पंचायत भोपाल
यह सब सप्ताह में ३ दिन मध्यान्ह भोजन में मिलेगा। फिलहाल बच्चों को रोटी, पूरी, सब्जी और दाल मिलती है। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नांदी फाउंडेशन ने इस संबंध में एक प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव को जिला पंचायत ने ले लिया है, लेकिन अंतिम मोहर नहीं लगाई है। सीईओ को सौंपे ज्ञापन में मध्यान्ह भोजन के मेन्यू में बदलाव का जिक्र किया है। जिले के सभी शासकीय स्कूलों में इडली, सांभर और चटनी देने की बात कही है। शेष अन्य ३ दिन रोटी, सब्जी और दाल-चावल आदि दिया जाएगा। सीईओ ने प्रस्ताव शासन को अनुमति के लिए भेजा दिया है। अंतिम इजाजत मिलते ही इसे लागू किया जाएगा।
स्वाद में परिवर्तन
बच्चों को स्वाद में परिवर्तन की कोशिश के साथ शिकायत को कम करना भी इसके पीछे एक कारण बताया जा रहा है। अभी मध्यान्ह भोजन में सबसे ज्यादा कच्ची या जली हुई रोटियों परोसे जाने की शिकायतें मिल नहीं हैं। वहीं दाल और सब्जी को लेकर भी कई बार बातें उठ चुकी हैं। नांदी फाउंडेशन मशीनों से जो रोटियां बनवाता है वे कच्ची जैसी दिखती हैं। वहीं शहरी बच्चों को एलपीजी गैस पर सिकी रोटियां खाने की आदत है। मेन्यू बदलने के बाद बच्चों को भोजन में नवीनता मिलेगी, वहीं शिकायतों से भी निजात मिलेगी।
नांदी फाउंडेशन से मध्यान्ह भोजन में परिवर्तन किए जाने का प्रस्ताव मिला है। प्रस्ताव में ३ दिन इडली-सांभर देने की बात कही गई है। शासन के लिए भेज दिया गया है। अनुमति मिलने के साथ इसे लागू किया जा सकता है। निर्णय अब शासन को लेना है।
राकेश श्रीवास्तव, सीईओ, जिला पंचायत भोपाल
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