आखिर कब मिलेगी शहर को सौगात?
भोपाल।
राजधानी में शासन के आदेश के बावजूद लोहा मंडी की स्थापना का मामला 16 साल से अधर में लटका हुआ है। हालांकि लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ द्वारा पिछले 20 वर्षों से लगातार यहां मंडी की मांग की जा रही है लेकिन अब भी यह कार्यवाही सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हुई है। संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र ओसवाल ने राज्य शासन और प्रशासन से मांग की है कि शहर के लोहा व्यापरियों को मंडी की सौगात दें। उन्होंने बताया कि नगर तथा ग्राम निवेश वि ााग के उप संचालक द्वारा 01 अक्टूबर 1996 में एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि लोहा मंडी के लिए करीब सौ हेक्टेयर भूमि विदिशा रोड और बैरसिया रोड के मध्य में प्रस्तावित है। भोपाल विकास योजना 2005 के अंतर्गत ाी लोहा मंडी को ट्रांसपोर्ट नगर के समीप दर्शाया गया, जबकि वर्तमान प्रारूप 2021 में लोहा मंडी को मध्य क्षेत्र से यातायात नगर में स्थानांतरित करना बताया गया है। हालात ये हैं कि वर्ष 1996 से अब तक मंडी स्थापना का कार्य केवल कागजों पर ही चल रहा है। सू9ों की मानें तो लोहा मंडी की 300 एकड़ भूमि की स्थापना कागज पर हुई है। उधर राज्य शासन द्वारा मंडी विकास कार्य के लिए नगर-निगम को दिया गया करीब पांच लाख रुपए का बजट एक वर्ष बीतने के बाद वर्ष 1997 में ऐशबाग स्टेडियम के रख-रखाव में खर्च कर दिया गया।
करोड़ों का राजस्व फिर ाी उपेक्षित : लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ अध्यक्ष के अनुसार लोहा व्यवसायियों द्वारा शासन को प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए राजस्व देने के पश्चाात भी लोहा व्यवसायी उपेक्षा का दंशझेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में कागजों पर पुन: लोहा मंडी दर्शाई गई, लेकिन यह ाी मात्र कागजों तक ही सीमित होकर रह गई। लोहा कारोबारियों के अनुसार भोपाल विकास योजना के अंतर्गत बने मास्टर प्लान में मध्य क्षेत्र, ट्रांसपोर्ट नगर में लोहा मंडी को तवज्जो दी गई है, लेकिन राजधानी के व्यापारियों को यह सौगात अतिशीघ्र मिले, इस संबंध में संघ का प्रतिनिधिमंडल नगर प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर एवं जिला प्र ाारी मंत्री जयंत मलैया से भी भेंटकर अपना दुखड़ा सुना चुका है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के बड़े शहरों में लोहा मंडियां हैं, लेकिन मप्र की राजधानी होने के बावजूद भोपाल इससे अब तक महरूम है।
भोपाल।
राजधानी में शासन के आदेश के बावजूद लोहा मंडी की स्थापना का मामला 16 साल से अधर में लटका हुआ है। हालांकि लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ द्वारा पिछले 20 वर्षों से लगातार यहां मंडी की मांग की जा रही है लेकिन अब भी यह कार्यवाही सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हुई है। संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र ओसवाल ने राज्य शासन और प्रशासन से मांग की है कि शहर के लोहा व्यापरियों को मंडी की सौगात दें। उन्होंने बताया कि नगर तथा ग्राम निवेश वि ााग के उप संचालक द्वारा 01 अक्टूबर 1996 में एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि लोहा मंडी के लिए करीब सौ हेक्टेयर भूमि विदिशा रोड और बैरसिया रोड के मध्य में प्रस्तावित है। भोपाल विकास योजना 2005 के अंतर्गत ाी लोहा मंडी को ट्रांसपोर्ट नगर के समीप दर्शाया गया, जबकि वर्तमान प्रारूप 2021 में लोहा मंडी को मध्य क्षेत्र से यातायात नगर में स्थानांतरित करना बताया गया है। हालात ये हैं कि वर्ष 1996 से अब तक मंडी स्थापना का कार्य केवल कागजों पर ही चल रहा है। सू9ों की मानें तो लोहा मंडी की 300 एकड़ भूमि की स्थापना कागज पर हुई है। उधर राज्य शासन द्वारा मंडी विकास कार्य के लिए नगर-निगम को दिया गया करीब पांच लाख रुपए का बजट एक वर्ष बीतने के बाद वर्ष 1997 में ऐशबाग स्टेडियम के रख-रखाव में खर्च कर दिया गया।
करोड़ों का राजस्व फिर ाी उपेक्षित : लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ अध्यक्ष के अनुसार लोहा व्यवसायियों द्वारा शासन को प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए राजस्व देने के पश्चाात भी लोहा व्यवसायी उपेक्षा का दंशझेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में कागजों पर पुन: लोहा मंडी दर्शाई गई, लेकिन यह ाी मात्र कागजों तक ही सीमित होकर रह गई। लोहा कारोबारियों के अनुसार भोपाल विकास योजना के अंतर्गत बने मास्टर प्लान में मध्य क्षेत्र, ट्रांसपोर्ट नगर में लोहा मंडी को तवज्जो दी गई है, लेकिन राजधानी के व्यापारियों को यह सौगात अतिशीघ्र मिले, इस संबंध में संघ का प्रतिनिधिमंडल नगर प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर एवं जिला प्र ाारी मंत्री जयंत मलैया से भी भेंटकर अपना दुखड़ा सुना चुका है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के बड़े शहरों में लोहा मंडियां हैं, लेकिन मप्र की राजधानी होने के बावजूद भोपाल इससे अब तक महरूम है।
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