सातों दिन 24 घंटें पानी वितरण के लिए ननि बिछा रहा है हाई डेन्सिटी पाइप
भोपाल।
शहरवासियों को आए दिन लीकेज, जंग या पाइप फूटने के कारण पानी न मिलने की समस्या से निजात मिल सकेगी। शहर को सप्ताह में सातों दिन २४ घंटे पानी देने नगर निगम 'डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्कÓ बिछा रहा है। ये जाल जीआई पाइप नहीं, बल्कि हाई डेन्सिटी पाइप लाइन (एचडीपीआई) का होगा। इसकी कीमत जीआई पाइप से तीन गुना कम और उम्र सौ साल से अधिक है।
यह पाइप लाइन केन्द्रीय योजना जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत बिछाई जा रही है। केन्द्रीय मंशा अनुसार क्वॉलिटी कंट्रोल पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके जरिए नर्मदा जल का वितरण होगा। डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में पूरे शहर को शामिल किया गया है। सीधे घर तक पानी देने पाइप लाइन के मोड़ों पर ध्यान भी दिया जा रहा है। शहर में परियोजना उदय के अंतर्गत बिछाई गई पाइप लाइन में भी कुछ हिस्सों में इन्हीं पाइप का उपयोग किया गया है। परियोजना उदय में 545 किलोमीटर की पाइप लाइन में 145 किलोमीटर हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप (एचडीपीआई) बिछाया गया है।
-कहां कौन सी लाइन
नए और पुराने शहर में अलग-अलग तरह से पाइप लाइन बिछाई जा रही है। जानकारी के अनुसार, गैस प्रभावित २३ बस्तियों में 317 किलोमीटर हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप लाइन (एचडीपीआई) बिछाई जा रही है। बाकी शहर में 2100 किलोमीटर से अधिक लंबाई की हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप बिछाई जा रही है। 110 से 350 एमएम व्यास की पाइप लाइन बिछाने का यह काम फिलहाल धीमी गति से चल रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि पाइप लाइन बिछाने के साथ इसकी गुणवत्ता रेलवे की राइट कंपनी से थर्ड पार्टी इंपेक्शन कराया जा रहा है। इसी के हाथ क्वालिटी कंट्रोल की कमान है।
-अब तक ये होता था
नगर निगम अब तक पारंपरिक तरीके को अपनाते हुए जीआई पाइप की लाइन डालता था। इसी से जलापूर्ति की जाती रही है, वर्तमान में भी इसी नेटवर्क से शहर को जल प्रदाय हो रहा है। जानकारों के अनुसार इसमें लीकेज और एक निश्चित समयावधि के बाद जंग लग जाती है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। वहीं लीकेज की परेशानी भी आए दिन बनी रहती है। इन्हीं सब को देखते हुए निगम अब एचडीपीआई बिछा रहा है। उल्लेखनीय है कि जलापूर्ति की गुणवत्ता पर नजर रखने रखने वाली कई एजेंसियों ने जांच में पाया था कि भोपाल में जलापूर्ति का 40 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह रहा है।
-वर्जन
हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप से व्यर्थ बहने वाले पानी को रोका जा सकेगा। वहीं अब तक जो जल की गुणवत्ता में कमी की बात आ रही है उससे भी निजात मिलेगी। बड़ी बात यह है जीरो मैंटेनेंस पर शहरवासियों को २४ घंटे जलापूर्ति हो सकेगी।
जीपी माली, उपायुक्त, नगर निगम
भोपाल।
शहरवासियों को आए दिन लीकेज, जंग या पाइप फूटने के कारण पानी न मिलने की समस्या से निजात मिल सकेगी। शहर को सप्ताह में सातों दिन २४ घंटे पानी देने नगर निगम 'डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्कÓ बिछा रहा है। ये जाल जीआई पाइप नहीं, बल्कि हाई डेन्सिटी पाइप लाइन (एचडीपीआई) का होगा। इसकी कीमत जीआई पाइप से तीन गुना कम और उम्र सौ साल से अधिक है।
यह पाइप लाइन केन्द्रीय योजना जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत बिछाई जा रही है। केन्द्रीय मंशा अनुसार क्वॉलिटी कंट्रोल पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके जरिए नर्मदा जल का वितरण होगा। डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में पूरे शहर को शामिल किया गया है। सीधे घर तक पानी देने पाइप लाइन के मोड़ों पर ध्यान भी दिया जा रहा है। शहर में परियोजना उदय के अंतर्गत बिछाई गई पाइप लाइन में भी कुछ हिस्सों में इन्हीं पाइप का उपयोग किया गया है। परियोजना उदय में 545 किलोमीटर की पाइप लाइन में 145 किलोमीटर हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप (एचडीपीआई) बिछाया गया है।
-कहां कौन सी लाइन
नए और पुराने शहर में अलग-अलग तरह से पाइप लाइन बिछाई जा रही है। जानकारी के अनुसार, गैस प्रभावित २३ बस्तियों में 317 किलोमीटर हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप लाइन (एचडीपीआई) बिछाई जा रही है। बाकी शहर में 2100 किलोमीटर से अधिक लंबाई की हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप बिछाई जा रही है। 110 से 350 एमएम व्यास की पाइप लाइन बिछाने का यह काम फिलहाल धीमी गति से चल रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि पाइप लाइन बिछाने के साथ इसकी गुणवत्ता रेलवे की राइट कंपनी से थर्ड पार्टी इंपेक्शन कराया जा रहा है। इसी के हाथ क्वालिटी कंट्रोल की कमान है।
-अब तक ये होता था
नगर निगम अब तक पारंपरिक तरीके को अपनाते हुए जीआई पाइप की लाइन डालता था। इसी से जलापूर्ति की जाती रही है, वर्तमान में भी इसी नेटवर्क से शहर को जल प्रदाय हो रहा है। जानकारों के अनुसार इसमें लीकेज और एक निश्चित समयावधि के बाद जंग लग जाती है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। वहीं लीकेज की परेशानी भी आए दिन बनी रहती है। इन्हीं सब को देखते हुए निगम अब एचडीपीआई बिछा रहा है। उल्लेखनीय है कि जलापूर्ति की गुणवत्ता पर नजर रखने रखने वाली कई एजेंसियों ने जांच में पाया था कि भोपाल में जलापूर्ति का 40 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह रहा है।
-वर्जन
हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पाइप से व्यर्थ बहने वाले पानी को रोका जा सकेगा। वहीं अब तक जो जल की गुणवत्ता में कमी की बात आ रही है उससे भी निजात मिलेगी। बड़ी बात यह है जीरो मैंटेनेंस पर शहरवासियों को २४ घंटे जलापूर्ति हो सकेगी।
जीपी माली, उपायुक्त, नगर निगम
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