रविवार, 10 फ़रवरी 2013

सामान छूट जाए तो घबराएं नहीं, कॉल करें -लो फ्लोर बस में बढ़ाई जा रही सुविधाएं,भोपाल

लो फ्लोर बस में सफर करते वक्त आपका सामान बस में रह जाता है तो परेशान या घबराने की जरूरत नहीं है। आपके पास जो टिकट है, उसकी के पीछे लिखे नम्बर-4030005 पर कॉल करें। पुख्ता पहचान होते ही यह सामान आपके सुपुर्द कर दिया जाएगा। 
प्रसन्ना पर्पल मोबिलिटी ने अपनी सुविधाओं में इजाफा किया है। इसी के चलते उसने अपने कंट्रोल रूम में यह व्यवस्था शुरू की है। अधिकांश तौर पर स्कूल-कालेज के विद्यार्थी और कर्मचारी तबका इनमें सफर करता है। जल्द बाजी में यात्रि बसों में सामान भूल जाते हैं, लो फ्लोर बस के डिपो चौराहा स्थित मुख्यालय में सामान का अंबार लग चुका है। इसमें सबसे ज्यादा कपड़े हैं। इसके अलावा मोबाइल, घरेलू सामान, बैग, बच्चों के खिलौने और अन्य सामग्री भी शामिल है। बसों में छूटने वाले सामान को कंडक्टर शाम को मुख्यालय में जमा कर देते हैं। कंट्रोल रूम के अधिकारी ने बताया मोबाइल छोडऩे वाले तो जल्द संपर्क कर लेते हैं, लेकिन बाकी सामान को लेकर इक्का-दुक्का ही कॉल आते हैं। 

ऐसे करें संपर्क 
बस प्रबंधन यात्रियों को टिकट संभालकर रखने की सलाह देते हैं। इसी में बस का नंबर और वो किस मार्ग पर चल रही है आदि का विवरण होता है। साथ ही टिकट किस परिचालक ने काटा है उसका नाम रहता है। यात्रा के दौरान कुछ सामान छूट जाता है तो तुरंत काल कर सकते हैं, यात्री को कंट्रोल रुम से बस की लोकेशन और संबंधित कंडक्टर से संपर्क करा दिया जाता है। इससे 7 से 15 मिनट के बीच में ही अपना सामान वापस मिल जाता है। ऐसा न होने पर सामान कंट्रोल रूम में रात को आ जाता है, जिसे अगले दिन लिया जा सकता है। 

-सुरक्षित दिया सामान 
लो फ्लोर बसों के कंडक्टर्स और ड्राइवरों ने ईमानदारी की मिसाल भी कायम की है। इसका अंदाजा शनिवार को हुए एक घटना क्रम से लगाया जा सकता है। शाम करीब ४.३० बजे बैरागढ़ से आकृति ईको सिटी तक चलने वाली बस में सफर करने वाली एक महिला यात्री का पर्स छूट गया। यह महिला कहीं बीच रास्ते में उतर गई, जिसके नतीजे में कंडक्टर श्यामसुंदर ने पर्स को डिपो चौराहा स्थित मुख्यालय में जमा करवा दिया। महिला ने टिकट पर दिए नम्बर पर संपर्क किया। पुष्टि होने पर्स महिला को दे दिया गया। इसी तरह कुछ दिन पहले कंडक्टर ब्रजेश शर्मा ने बस में एक महिला शिक्षिका के 25 हजार रुपए संभाल कर रखे थे। और वापस किए थे। हालांकि, ऐसे मौके तभी होते हैं जब कोई दूसरा छूटे हुए सामान पर हाथ न साफ कर दे। 

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