गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

साथ काम-साथ वेतन पर राजी हुआ प्रबंधन - फोटो : ोल ावन का मार्च के तीन रविवार होंगे कार्यदिवस

एचआर के साथ हुई यूनियनों की बैठक
ोल। 

बीएचईएल में कार्यरत लग ाग आठ हजार कर्मचारियों को अब हर महीने की अंतिम तारी ा को एक साथ वेतन का ाुगतान किया जाएगा। इस संबंध में बुधवार को ोल प्रबंधन के साथ हुई कर्मचारी प्रतिनिधि यूनियनों की बैठक में आम सहमति से निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि अब तक ोल में कुछ कर्मचारियों को माह के अंतिम दिन और कुछ को अगले माह की तीन तारी ा को वेतन का ाुगतान किया जाता था, जो अब एक साथ काम और एक साथ वेतन की तर्ज पर हर माह अंतिम को ही संबंधित कर्मचारियों के बैंक ााते में जमा करा दिया जाएगा। दरअसल अब तक जिन कर्मचारियों का वेतन पत्रक सैलरी सेक्शन में बनता था, उन्हें माह की अंतिम तारी ा को ाुगतान हो जाता था, लेकिन जिनका वेतन पत्रक टाइम एंड वेजेस सेक्शन में तैयार होता था उन्हें अगले माह की तीन तारी ा तक इंतजार करना पड़ता था। बैठक में प्रबंधन द्वारा ही यह प्रस्ताव र ाा गया कि कर्मचारियों को दो टुकड़ों में वेतन ाुगतान के बजाय एक साथ ाुगतान की व्यवस्था हो, जिस पर स ाी प्रतिनिधि यूनियनों से सहर्ष सहमति दे दी। बैठक में बताया गया कि वेतन ाुगतान की नई व्यवस्था आगामी वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2013 से लागू होगी। प्रबंधन की ओर से अपर महाप्रबंधक केके नायर तथा प्रतिनिधि यूनियनों में इंटक की ओर से जेपी गौड़, आरके हुरडे तथा अनु तिवारी, एचएमएस से बीएस कठैत, बी. शंकरराव, आरबी शर्मा तथा केटीयू की ओर से मो. फारूक तथा एमडी गोडबोले आदि मौजूद थे।

तीन रविवार ाुलेगा कार ााना : उत्पादन वर्ष का अंतिम दौर होने के कारण ोल कार ााने में मार्च के तीन रविवार यानी 10, 24 और 31 मार्च को कार्यदिवस रहेगा। बैठक में चर्चा के दौरान हालांकि स ाी यूनियन पदाधिकारियों ने इस बिंदु पर सहमति दे दी, लेकिन 10 मार्च को कार्यदिवस र ाने के संबंध में प्रबंधन को श्रमायुक्त से अनुमोदन लेना होगा। प्रबंधन सूत्रों के मुताबिक श्रमायुक्त से 10 मार्च को कार्यदिवस की अनुमति मिलती है तो महीने में तीन रविवार कार्यदिवस हो जाएंगे। इसके एवज में 1, 2 व 3 अप्रैल को कार ााने में अवकाश रहेगा और यदि अनुमति नहीं मिली तो दो रविवार कार्यदिवस के एवज में 1 व 2 अप्रैल को ोल कार ााना बंद रहेगा।

सुंदरकांड आ िार सुंदर क्यों बना... ? : छोटे मुरारी बापू   : फोटो
मित्रता कैसे नि ााएं, सी ों सुग्रीव से
स मान पाना है तो बुजुर्गों का स मान करें
ोल। रामचरित मानस का पांचवां सोपान सुंदरकांड आ िार सुंदर क्यों बना? इस प्रसंग को अनिवार्य रूप से समझना होगा, त ाी रामायण पाठ अथवा श्रीराम के चरित्र को समझा जा सकता है। ये उद्गार किरण नगरी फेस-टू में चल रही श्रीराम कथा के आठवें दिन कथा आचार्य पं. छोटे मुरारी बापू ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने ागवान श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता के प्रसंग पर कहा कि सच्ची मित्रता त ाी सं ाव है, जब मित्र के साथ निष्कपट मित्र जैसा व्यवहार हो। आचार्यश्री ने रामादल के सबसे बुजुर्ग सेनापति जामवंत के अनु ावों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जामवंत की सलाह महावीर हनुमानजी को बहुत अच्छी लगी। फलस्वरूप इस पूरे सोपान का नाम ही सुंदरकांड हो गया। श्रीराम कथा का संगीतमय वर्णन करते हुए छोटे मुराी बापू ने बुजुर्गों कास मान करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि जहां वृद्धजनों का स मान होता है, उनकी सलाह मानी जाती है, उस घर, गांव और शहर में सु ा-समुद्धि की गंगा बहती है, क्योंकि बुजुर्गों के पास जीवन के अनु ाव का ांडार होता है।

ऊर्जा का उपयोग सृजनात्मक हो : आचार्यश्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी ऊर्जा का उपयोग हमेशा सृजनात्मक और जनकल्याणकारी कार्यों के लिए ही करें। उन्होंने कहा कि संस्कृति और स यता के संरक्षण व संवर्धन में अपनी युवा शक्ति को लगाएं और समाज को संगठित कर समूचे वातावरण को राममय बनाएं। इस अवसर पर महापौर कृष्णा गौर सहित पार्षद लक्ष्मी ठाकुर के अलावा आयोजन समिति के प्रिंस पवार, राकेश पवार, आशीष बकोरिया, आशा बकोरिया, सुरेश कुमार सोनपुरे, इंदु सोनपुरे सहित बड़ी सं या में श्रदालुजन मौजूद थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें