शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

एस्मा के बाद भी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर

शासन ने हड़ताल को असंवैधानिक बताते हुए एस्मा के तहत कार्रवाई शुरु की
,भोपाल
एस्मा लागू किए जाने की परवाह नहीं करते हुए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बेमुद्दत हड़ताल शुरु कर दी है। हड़ताल का प्रभाव मैदानी स्वाथ्य सेवाओं पर पहले ही दिन से नजर आने लगा है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के इस हड़ताल में शामिल नहीं होने के कारण अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्तर तक की स्वास्थ्य सेवाएं बदस्तूर जारी हैं।
मप्र सविंदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के आव्हान पर शुक्रवार से प्रदेशभर के स्वास्थ्य विभाग एवं राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम), इम्युनाईजेशन, एनवीबीडीसीपी, आईडीएसपीएनएसीपी, आरएनटीसीपी, टीबी आयुष, पैरामेडिकल, मलेरिया, एड्स आदि में कार्यरत संविदा कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर चले गए हैं। यादगारे शाहजहांनी पार्क में हड़ताली कर्मचारियों को संबोधित करते हुए मप्र स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री रमेश तोमर और मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष रमेश राठौर ने दावा किया कि, हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि, महिला संविदा कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश तक नहीं मिलता और वेतन काटा जाता है, जबकि घरेलू काम करने वाली बाईयों तक को अवकाश मिलता है। चिकित्सा अवकाश, अर्जित अवकाश, महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता नहीं दिया जा रहा है। ईपीएफ कटौत्रा नहीं किया जा रहा है, कोटवार के परिवार को अनुकंपा नियुक्ति का हक है, लेकिन संविदा कर्मचारियों के परिजन को नहीं है।

-सिर्फ नोटिस देकर नौकरी खत्म
संविदा कर्मचारी इस बात से बेहद आहत हैं कि, उनकी सेवाएं बिना किसी जांच या सुनवाई के सिर्फ एक नोटिस देकर खत्म कर दी जाती है। अभी तक प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने बैतूल, ग्वालियर के डीपीएम और बनखेड़ी की बीपीएम को हटा चुके हैं। संविदा कर्मचारियों से चार गुना काम लिया जाता है, लेकिन जॉब सिक्योरिटी नहीं है।

-वेतनवृद्धि का आधा अधूरा आदेश
हड़ताली कर्मचारियों ने खुलासा किया कि, संचालक एनआरएचएम ने 13 फरवरी को आधू अधूरे वेतनवृद्धि के आदेश जारी किए हैं। आधे से ज्यादा पदों का वेतन ही नहीं बढ़ाया गया है, इसके साथ ही आधे पदों का वेतन कम कर दिया गया है। आशा कार्यकर्ता दिन रात ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं, उनका वेतन बढ़ाकर 10 हजार रुपए महीना किया जाए।

-खरगोन कलेक्टर की जांच की चर्चा
हड़ताल के कई कारणों सें एक कारण पीछे खरगोन जिला कलेक्टर नवनीत कोठारी द्वारा करवाई गई जांच बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ से जुडेÞ एक संविदा कर्मचारी के खिलाफ जांच में अनियमितताएं सामने आई हैं। इसके बाद कलेक्टर ने एफआईआर कराने के निर्देश दिए हैं। यह जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य संचालनालय ने तलब की है।

प्रवीर कृष्ण, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य से सीधी बात
-एस्मा के बाद भी हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं?
-कहीं कोई फर्क नहीं पड़ा है, स्वास्थ्य विभाग के सारे कर्मचारी ड्यूटी पर हैं, सिर्फ संविदा कर्मचारी ही काम पर नहीं आए हैं। इसके बाद भी डीपीएम आदि के काम का प्रभार दूसरे कर्मचारियों को सौंप दिया गया है, स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से सुचारु हैं। इसके साथ ही हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई की जा रही है।
-कर्मचारियों का आरोप है कि, उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया?
-संविदा कर्मचारियों को 2 हजार से लेकर 7 हजार रुपए प्रतिमाह बढ़ाकर 1 अप्रैल,12 की स्थिति से भुगतान तीन दिन पहले ही किया जा चुका है। इसके बाद हड़ताल पर जाने का कोई औचित्य नहीं है।
-खाली पदों के कारण हड़ताल का असर होने की आशंका है?
-हमने 6 हजार खाली पदों को भरने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके तहत 1 हजार डॉक्टर, 2 हजार नर्स और 800 टैक्नीशियन की भर्ती की जाएगी। इसके अलावा संविदा आधार पर भी जरुरत के मुताबिक भर्ती की जाएगी।

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