शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

अब ३० लाख रुपए एकड़ लगेगा विकास शुल्क

कालोनाइजर्स को ३० लाख रुपए एकड़ देना होगा विकास शुल्क 
-जिला प्रशासन ने की तैयारी 
भोपाल। 
कालोनाइजर्स की मुश्किलें और बढऩे वाली हैं। ऐसे जिन्होंने २ अक्टूबर, २०१२ से पहले जमीन का डायवर्सन कराया है और विकास अनुमति अब ले रहे हैं, उन्हें ३० लाख रुपए प्रति एक के हिसाब से ही विकास शुल्क जमा करना होगा। जिला प्रशासन ने इसको लेकर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है।
सभी वृत्तों के एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि 2 अक्टूबर को जारी आदेश अनुसार ही विकास शुल्क लें। नई दर पर ही विकास शुल्क जमा होने के बाद ही कालोनाइजर्स को विकास अनुमति दी जाए। आदेश पर सर्किलों के एसडीएम ने अमल शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा कालोनाइजर्स के आवेदन हुजूर क्षेत्र से हैं। इसमें कोलार भी शामिल है। 

-इसलिए किए परिवर्तन 
प्रशासिनक अधिकारियों के अनुसार कालोनाइजर्स कालोनियां तो काट देते थे और आवासों का निर्माण भी कर देते हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं कालोनियों में नहीं होती थी। इससे कालोनीवासी ही दो-चार होते है। इस प्रकार के कई मामले कलेक्टर की जनसुनवाई में आ चुके हैं। वहीं घटिया निर्माण व अविकसित कालोनियों के प्रकरण भी एसडीएम से लेकर कलेक्टर के पास आते हैं। प्रशासनिक अफसरों ने कार्रवाई करते हुए कई कालोनाइजर्स की 'विकास प्रतिभूति राशि; यानी विकास शुल्क राजसात की। हालांकि यह बहुत कम होती थी, जिसका गम कालोनाइजर्स को नहीं होता था। इसी को देखते हुए 2 अक्टूबर 2012 से नई राशि निर्धारित की गई। देखने में आया कि कालोनाइजर्स ने जमीनों का डायवर्सन कराना ही बंद कर दिया। अक्टूबर से अब तक कुल 7 डायवर्सन ही हुए हैं। इनका डायवर्सन नए विकास शुल्क जमा करने पर हुए है। वहीं अन्य वृत्तों में 2 अक्टूबर से पहले लिए गए डायवर्सन पर विकास अनुमति लेने के कई आवेदन पड़े हुए हैं। पहले यह कालोनाइजर्स को विकास शुल्क के रूप में 6 लाख रुपए प्रति एकड़ जमा करनी होती थी। 

-ये लगेगा शुल्क 
अपर कलेक्टर भोपाल की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति की द्वितीय बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कालोनाइजर्स को कालोनी निर्माण के पूर्व जमीन का डायवर्सन कराने के लिए विकास शुल्क के रूप में 30 लाख रुपए प्रति एकड़ का 20 प्रतिशत जमा करना होगा। इसमें से 10 प्रतिशत राशि कुल निर्माण लागत की विकास प्रतिभूति राशि के रूप में चालान की कॉपी आवेदन के साथ चस्पा करनी होगी। साथ ही 10 प्रतिशत राशि की बैंक गारंटी देना होगी। निर्णय के बाद से ही इसे अमल में ले लिया गया है। 

-कालोनाइजर्स ने लिया फायदा 
कालोनाइजर्स को विकास शुल्क बढऩे की जानकारी हो चुकी थी। इसके चलते उन्होंने 2 अक्टूबर से पहले ही जमीन डायवर्सन करा लिया था। इसके पीछे कालोनाइजर्स की मंशा विकास शुल्क बचाना था। हालांकि साधिकार की बैठक में लिए निर्णय के बाद कालोनाइजर्स में हड़कंप मच गया है। 

-नई दर ले रहे हैं
जिले के ऐसे कई कालोनाइजर्स हैं, जिन्होंने 2 अक्टूबर से पहले जमीन का डायवर्सन करा लिया था और अब कालोनी निर्माण का आवेदन दिया है। इनसे नई दर पर विकास शुल्क लिया जा रहा है। 10 से अधिक प्रकरणों में नई दर पर विकास अनुमति दी गई है। 
राजेश श्रीवास्तव, एसडीएम हुजूर 

-नहीं तो अनुमति नहीं 
नई दर पर ही कालोनाइजर्स को विकास अनुमति दी जा रही है। भले ही कालोनाइजर्स ने पूर्व में जमीन का डायवर्सन करा लिया हो। कालोनाइजर्स द्वारा ऐसा न किए जाने पर विकास अनुमति नहीं दी जाएगी। 
राजीव नंदन श्रीवास्तव, एसएलआर, डायवर्सन शाखा

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