-मप्र बिजली कर्मचारी महासंघ का दो दिवसीय अधिवेशन शुरू
भोपाल।
गोविन्दपुरा स्थित बिजली नगर में मप्र बिजली कर्मचारी महासंघ का दो दिवसीय अधिवेशन रविवार को शुरू हुआ। कार्यक्रम में ध्वजारोह एवं दीप प्रज्ज्वलन करते हुए राष्ट्रवादी चिंतक गोविन्दाचार्य ने कहा, संघ के कार्यकर्ता देश और समाज हित के लिए प्रतिबद्ध हों। संघ के स्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, आज देश में नेता, नौकर शाह व थैलीशाह का गठजोड़ कार्पोरेट सेक्टर के हित में काम कर रहा है। एक दिन ये बाजारवाद भी खत्म हो जाएगा।
गोविन्दाचार्य ने कहा, ऊर्जा उत्पादन बढऩे के बाद भी संविदा श्रमिकों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे ही खाद्य उत्पाद बढऩे के साथ कुपोषण भी बढ़ रहा है। उन्होंने 1492 में यूरोपीय उपनिवेशवाद और उन्मुक्त उपभोक्तावाद द्वारा यूरोप में महिलाओं की स्थिति के बाद टे्रड यूनियन मूवमेंट की परिकल्पना के बारे विस्तार से बात की। वर्तमान में वही स्थिति किस प्रकार हावी हो रही है ये बात उन्होंने समझाई। वे बोले रूस में माक्र्सवाद का पतन होने, पूंजीवाद, बाजारवाद के कारण आउट सोर्सिंग और विदेशी कंपनियों के देश में विस्तार से हानि के बारे में स्पष्ट बातें रखीं।
इस दौरान उन्होंने प्रश्न किया कि मजदूर ही विकास की कीमत क्यों चुकाए? वे बोले हमें लड़ाई की सच्चाई को समझना होगा। यह पुर्ननिर्माण की लड़ाई का हिस्सा है। कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने कहा, मप्र कुछ माह बाद बिजली उत्पादन में दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहेगा। सरकार ने बिजली उत्पादन के अधोसंरचना के लिए करीब 25 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया है। इस साल के अंत तक प्रदेश के 50 हजार गांवों को बिजली कटौती से मुक्ती मिल जाएगी।
इस दौरान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष केके हरदास ने कहा, बिजली क्षेत्र में संगठन की व्यापक कार्यशैली ही इसे वृहद बनाती है। मंच से ही उन्होंने १९९५ से २०१० तक हालातों पर प्रकाश डालते हुए कहा, विफलता केवल सरकार की नितियों के कारण मिलती है। विद्युत मंडलों को आवश्यकता अनुसार कोयला उपलब्ध कराया जाए, तो बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के प्रदेश महामंत्री सुल्तान सिंह शेखावत ने की। इस अवसर पर प्रतिवेदन एवं आर्थिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
भोपाल।
गोविन्दपुरा स्थित बिजली नगर में मप्र बिजली कर्मचारी महासंघ का दो दिवसीय अधिवेशन रविवार को शुरू हुआ। कार्यक्रम में ध्वजारोह एवं दीप प्रज्ज्वलन करते हुए राष्ट्रवादी चिंतक गोविन्दाचार्य ने कहा, संघ के कार्यकर्ता देश और समाज हित के लिए प्रतिबद्ध हों। संघ के स्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, आज देश में नेता, नौकर शाह व थैलीशाह का गठजोड़ कार्पोरेट सेक्टर के हित में काम कर रहा है। एक दिन ये बाजारवाद भी खत्म हो जाएगा।
गोविन्दाचार्य ने कहा, ऊर्जा उत्पादन बढऩे के बाद भी संविदा श्रमिकों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे ही खाद्य उत्पाद बढऩे के साथ कुपोषण भी बढ़ रहा है। उन्होंने 1492 में यूरोपीय उपनिवेशवाद और उन्मुक्त उपभोक्तावाद द्वारा यूरोप में महिलाओं की स्थिति के बाद टे्रड यूनियन मूवमेंट की परिकल्पना के बारे विस्तार से बात की। वर्तमान में वही स्थिति किस प्रकार हावी हो रही है ये बात उन्होंने समझाई। वे बोले रूस में माक्र्सवाद का पतन होने, पूंजीवाद, बाजारवाद के कारण आउट सोर्सिंग और विदेशी कंपनियों के देश में विस्तार से हानि के बारे में स्पष्ट बातें रखीं।
इस दौरान उन्होंने प्रश्न किया कि मजदूर ही विकास की कीमत क्यों चुकाए? वे बोले हमें लड़ाई की सच्चाई को समझना होगा। यह पुर्ननिर्माण की लड़ाई का हिस्सा है। कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने कहा, मप्र कुछ माह बाद बिजली उत्पादन में दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहेगा। सरकार ने बिजली उत्पादन के अधोसंरचना के लिए करीब 25 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया है। इस साल के अंत तक प्रदेश के 50 हजार गांवों को बिजली कटौती से मुक्ती मिल जाएगी।
इस दौरान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष केके हरदास ने कहा, बिजली क्षेत्र में संगठन की व्यापक कार्यशैली ही इसे वृहद बनाती है। मंच से ही उन्होंने १९९५ से २०१० तक हालातों पर प्रकाश डालते हुए कहा, विफलता केवल सरकार की नितियों के कारण मिलती है। विद्युत मंडलों को आवश्यकता अनुसार कोयला उपलब्ध कराया जाए, तो बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के प्रदेश महामंत्री सुल्तान सिंह शेखावत ने की। इस अवसर पर प्रतिवेदन एवं आर्थिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
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