-आदमपुर छावनी में 22 एकड़ जमीन का है मामला
भोपाल।
जिला प्रशासन अब तक आदमपुर छावनी की शासकीय २२ एकड़ जमीन बेचने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करा सका है। २०-२० हजार में प्लाट काटकर देने वाले आरोपी मगर सिंह और निक्का जिले में खुलेआम घूम रहे हैं।
बुधवार को एसडीएम राजेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में आदमपुर छावनी की इस सरकारी जमीन से १० मकानों को तोड़ा गया था। वहीं कुछ ने बाउंड्री वॉल बना ली थी, जिसे हटाया गया। नगर निगम सीमा से लगी इस जमीन पर १०० से अधिक प्लाट काटकर मगर सिंह पिता नारायण सिंह व निक्का पिता लाल सिंह भावलपुरिया ने 20-20 हजार रुपए में बेच दिए थे। प्रशासनिक अधिकारियों ने दोनों के खिलाफ प्रकरण तैयार कर एफआईआर कराने की बात कही थी। बावजूद इसके अब तक दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एसडीएम राजेश श्रीवास्तव का कहना है, कब्जा जमाने वाले लोगों के बयानों के आधार पर दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने की कार्रवाई जारी है। यह कब तक होगा? इस प्रश्न पर उन्होंने किसी प्रकार का जवाब नहीं दिया। दूसरी ओर विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तो की, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने में पसीना आ रहा है। कारण राजनीतिक दबाव होना है। वहीं कुछ अधिकारी भी आरोपियों पर एफआईआर नहीं होने देना चाहते है।
भोपाल।
जिला प्रशासन अब तक आदमपुर छावनी की शासकीय २२ एकड़ जमीन बेचने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करा सका है। २०-२० हजार में प्लाट काटकर देने वाले आरोपी मगर सिंह और निक्का जिले में खुलेआम घूम रहे हैं।
बुधवार को एसडीएम राजेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में आदमपुर छावनी की इस सरकारी जमीन से १० मकानों को तोड़ा गया था। वहीं कुछ ने बाउंड्री वॉल बना ली थी, जिसे हटाया गया। नगर निगम सीमा से लगी इस जमीन पर १०० से अधिक प्लाट काटकर मगर सिंह पिता नारायण सिंह व निक्का पिता लाल सिंह भावलपुरिया ने 20-20 हजार रुपए में बेच दिए थे। प्रशासनिक अधिकारियों ने दोनों के खिलाफ प्रकरण तैयार कर एफआईआर कराने की बात कही थी। बावजूद इसके अब तक दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एसडीएम राजेश श्रीवास्तव का कहना है, कब्जा जमाने वाले लोगों के बयानों के आधार पर दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने की कार्रवाई जारी है। यह कब तक होगा? इस प्रश्न पर उन्होंने किसी प्रकार का जवाब नहीं दिया। दूसरी ओर विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तो की, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने में पसीना आ रहा है। कारण राजनीतिक दबाव होना है। वहीं कुछ अधिकारी भी आरोपियों पर एफआईआर नहीं होने देना चाहते है।
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