२०१३-१४ के लिए जमीनों के भाव तय करने फिर मंथन होगा। कलेक्टर गाइड लाइन में दरें तय करने जिला मूल्यकांन समिति की शनिवार को बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी सातों सर्किल के भावों को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
बीते साल की तरह इस बार भी गाइड लाइन को बाजार भाव के करीब लाने का प्रस्ताव है। इस बार गली, चौक-चौराहों और मुख्य सड़क से लगी भूमियों के अलग-अलग दरें रखने को निर्णय लिया गया है। उल्लेखनीय है बीते वर्ष वार्ड अनुसार भावों को तय किया जा चुका है। कलेक्ट्रेट में होने वाली बैठक में चर्चा और रिपोर्ट को अंतिम करने के बाद इसे जिला मूल्यांकन समिति को भेजा जाएगा। गौरतलब है कि उप मूल्यांकन समिति की यह तीसरी बैठक है। पूर्व की गाइड लाइन पर नजर डालें तो पिछले पांच साल में राजधानी में दस गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है, वहीं राजस्व आय बढ़ाने के लिए जमीन की सरकारी दरों को बाजार भाव के बराबर लाने का सिलसिला तीन सालों से चल रहा है। इस बार भी यही प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों ने बिल्डर एवं कालोनाइजर द्वारा बेची जाने वाली प्रापर्टी की एक रिपोर्ट उप मूल्यांकन समिति को सौंपी है।
-भाव में होगा इजाफा
समिति से जुड़े अधिकारियों की माने तो वृत्तों से आई रिपोर्ट के हिसाब से वित्तीय वर्ष 2013-14 की गाइड लाइन में जमीनों की दरों में वृद्धि होगी। यह वृद्धि 15 से 20 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। दूसरी ओर कलेक्टर ने संकेत दिए हैं कि इस बार बढ़ोतरी बीते सालों की अपेक्षा कम होगी। आम व्यक्ति का नई गाइड लाइन में ध्यान रखा गया है।
-यहां होगी बढ़ोतरी
जानकारों की माने तो कुछ सर्किलों में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां दरें कम हैं और बिल्डर अधिक लाभ ले रहे हैं। समिति ने इसकी एक सूची तैयार की है। इसमें बैरागढ़ के आगे इंदौर रोड, ब्यावरा-नरसिंहगढ़ रोड, रायसेन रोड, खजूरी कलां, बर ोड़ा पठानी, होशंगाबाद रोड, कोलार, बोरदा, कालापानी रोड, रातीबढ़, नीलबड़, लांबाखेड़, बैरसिया रोड, भानपुर तथा एयरपोर्ट रोड आदि प्रमुख हैं। उधर बैरसिया क्षेत्र में जमीनें खरीदना आम आदमी के लिए मुश्किल हो सकता है। यहां अफसरों ने नजर जमा रखी है। इसके चलते यहां जमीनों की दरों में 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की संभावना है।
-बिल्डरों पर ध्यान
जिला मूल्यांकन समिति द्वारा वित्तीय वर्ष 2013-14 की कलेक्टर गाइड लाइन में बिल्डरों का ध्यान रखा गया है। दरसअल, गाइड लाइन को भविष्य की मास्टर प्लान की सड़कों को ध्यान में रख तैयार किया जाना बताया जा रहा है। दूसरी ओर इसका कारण शहर का तेजी से हो रहा विस्तार और समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों को भी आधार बनाया गया है।
बीते साल की तरह इस बार भी गाइड लाइन को बाजार भाव के करीब लाने का प्रस्ताव है। इस बार गली, चौक-चौराहों और मुख्य सड़क से लगी भूमियों के अलग-अलग दरें रखने को निर्णय लिया गया है। उल्लेखनीय है बीते वर्ष वार्ड अनुसार भावों को तय किया जा चुका है। कलेक्ट्रेट में होने वाली बैठक में चर्चा और रिपोर्ट को अंतिम करने के बाद इसे जिला मूल्यांकन समिति को भेजा जाएगा। गौरतलब है कि उप मूल्यांकन समिति की यह तीसरी बैठक है। पूर्व की गाइड लाइन पर नजर डालें तो पिछले पांच साल में राजधानी में दस गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है, वहीं राजस्व आय बढ़ाने के लिए जमीन की सरकारी दरों को बाजार भाव के बराबर लाने का सिलसिला तीन सालों से चल रहा है। इस बार भी यही प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों ने बिल्डर एवं कालोनाइजर द्वारा बेची जाने वाली प्रापर्टी की एक रिपोर्ट उप मूल्यांकन समिति को सौंपी है।
-भाव में होगा इजाफा
समिति से जुड़े अधिकारियों की माने तो वृत्तों से आई रिपोर्ट के हिसाब से वित्तीय वर्ष 2013-14 की गाइड लाइन में जमीनों की दरों में वृद्धि होगी। यह वृद्धि 15 से 20 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। दूसरी ओर कलेक्टर ने संकेत दिए हैं कि इस बार बढ़ोतरी बीते सालों की अपेक्षा कम होगी। आम व्यक्ति का नई गाइड लाइन में ध्यान रखा गया है।
-यहां होगी बढ़ोतरी
जानकारों की माने तो कुछ सर्किलों में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां दरें कम हैं और बिल्डर अधिक लाभ ले रहे हैं। समिति ने इसकी एक सूची तैयार की है। इसमें बैरागढ़ के आगे इंदौर रोड, ब्यावरा-नरसिंहगढ़ रोड, रायसेन रोड, खजूरी कलां, बर ोड़ा पठानी, होशंगाबाद रोड, कोलार, बोरदा, कालापानी रोड, रातीबढ़, नीलबड़, लांबाखेड़, बैरसिया रोड, भानपुर तथा एयरपोर्ट रोड आदि प्रमुख हैं। उधर बैरसिया क्षेत्र में जमीनें खरीदना आम आदमी के लिए मुश्किल हो सकता है। यहां अफसरों ने नजर जमा रखी है। इसके चलते यहां जमीनों की दरों में 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की संभावना है।
-बिल्डरों पर ध्यान
जिला मूल्यांकन समिति द्वारा वित्तीय वर्ष 2013-14 की कलेक्टर गाइड लाइन में बिल्डरों का ध्यान रखा गया है। दरसअल, गाइड लाइन को भविष्य की मास्टर प्लान की सड़कों को ध्यान में रख तैयार किया जाना बताया जा रहा है। दूसरी ओर इसका कारण शहर का तेजी से हो रहा विस्तार और समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों को भी आधार बनाया गया है।
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