खसरा नकल की सर्टिफाइड कॉपी ऑनलाइन मिल सकेगी। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इसको लेकर ई-खसरा योजना तैयार की है। ऐसा होते ही कृषकों और जमीन के खाताधारकों को नकलो की कॉपी के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
शुक्रवार को इस संबंध में कलेक्टोरेट में एक बैठक हुई, जिसमें ई-खसरा के संबंध में मैदानी अधिकारियों से विचार-विमर्श के लिए आईटी सचिव हरिरंजन राव ने बैठक ली। उन्होंने बैठक में एसडीएम, तहसीलदार और लैंड रिकार्ड के अधिकारियों को जानकारी दी कि ई-खसरा योजना की लगभग सभी तैयारियां पूरी की चा चुकी हैं। संभवत: 20 फरवरी से इसकी औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। सर्टिफाइड कॉपी लेने के लिए आवेदक को केवल निर्धारित शुल्क चुकाना होगा। सर्टिफाइड कॉपी एमपी ऑनलाइन के कि ओस्क से भी निकाली जा सकेगी। यह कॉपी पूरी तरह प्रमाणित होगी और इस पर संबंधित तहसीलदार के डिजिटल सिग्नेचर अंकित रहेंगे।
उल्लेखनीय है अभी डिजिटल साइन वाले और 10 रुपए का स्टाम्प लगाए बगैर खसरे की कापी को कानूनी रूप से मान्य नहीं है। बैठक में ये बात भी सामने आई कि वर्तमान संचालिक केन्द्रों से जो नकलें दी जा रही हैं, उनमें कई गलतियां हैं। इन गलतियों को सुधारा जा रहा है। उन्होंने नाराजगी जताई कि अधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसके चलते किसानों और भू-स्वामियों को रेवेन्यू केस में खासी दिक्कतें आईं। गौरतलब है कि वर्तमान में खसरे की कापी ऑनलाइन देखने और उसका प्रिंट आउट लेने क ी सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन उसे सर्टिफाईड कराने के ेलिए तहसील कार्यालय जाना पड़ता है, क्योंकि सर्टिफाइड कराए बिना यह मान्य नहीं होती है। जबकि ई-खसरा में ऑन लाइन सर्टिफाईड कापी को संबंधित तहसीलदार ही डिजिटल साइन से सर्टिफाईड करेंगे। इसके साथ 10 रुपए का स्टॉम्प लगाने के बजाय उसक ी राशि सीधे खाते में जमा क रा दी जाएगी। बैठक में क लेक्टर निकुंज श्रीवास्तव सहित राजस्व विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में जाली खसरे बनने की आशंका को लेकर तहसीलदारों ने बताया कि उनके वास्तविक हस्ताक्षर न होने से कई प्रकार की व्यावहारिक समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि डिजिटल साइन को कोई भी व्यक्ति नकल या स्केन कर जाली ासरा तैयार क र सक ता है। उन्होंने बताया कि खसरे पर 10 रुपए का स्टॉम्प नहीं लगा होने पर यह न्यायालय में भी मान्य नहीं होगा, जिससे लोगों को परेशानी हो सक ती है। इस पर आईटी सचिव श्री राव ने क हा कि अब डिजिटल साइन सभी जगह स्वीक ार कि ए जा रहे हैं, इसके साथ स्टॉम्प शुल्क को एक अलग मद बनाकर उसमें जमा क राया जाएगा।
शुक्रवार को इस संबंध में कलेक्टोरेट में एक बैठक हुई, जिसमें ई-खसरा के संबंध में मैदानी अधिकारियों से विचार-विमर्श के लिए आईटी सचिव हरिरंजन राव ने बैठक ली। उन्होंने बैठक में एसडीएम, तहसीलदार और लैंड रिकार्ड के अधिकारियों को जानकारी दी कि ई-खसरा योजना की लगभग सभी तैयारियां पूरी की चा चुकी हैं। संभवत: 20 फरवरी से इसकी औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। सर्टिफाइड कॉपी लेने के लिए आवेदक को केवल निर्धारित शुल्क चुकाना होगा। सर्टिफाइड कॉपी एमपी ऑनलाइन के कि ओस्क से भी निकाली जा सकेगी। यह कॉपी पूरी तरह प्रमाणित होगी और इस पर संबंधित तहसीलदार के डिजिटल सिग्नेचर अंकित रहेंगे।
उल्लेखनीय है अभी डिजिटल साइन वाले और 10 रुपए का स्टाम्प लगाए बगैर खसरे की कापी को कानूनी रूप से मान्य नहीं है। बैठक में ये बात भी सामने आई कि वर्तमान संचालिक केन्द्रों से जो नकलें दी जा रही हैं, उनमें कई गलतियां हैं। इन गलतियों को सुधारा जा रहा है। उन्होंने नाराजगी जताई कि अधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसके चलते किसानों और भू-स्वामियों को रेवेन्यू केस में खासी दिक्कतें आईं। गौरतलब है कि वर्तमान में खसरे की कापी ऑनलाइन देखने और उसका प्रिंट आउट लेने क ी सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन उसे सर्टिफाईड कराने के ेलिए तहसील कार्यालय जाना पड़ता है, क्योंकि सर्टिफाइड कराए बिना यह मान्य नहीं होती है। जबकि ई-खसरा में ऑन लाइन सर्टिफाईड कापी को संबंधित तहसीलदार ही डिजिटल साइन से सर्टिफाईड करेंगे। इसके साथ 10 रुपए का स्टॉम्प लगाने के बजाय उसक ी राशि सीधे खाते में जमा क रा दी जाएगी। बैठक में क लेक्टर निकुंज श्रीवास्तव सहित राजस्व विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में जाली खसरे बनने की आशंका को लेकर तहसीलदारों ने बताया कि उनके वास्तविक हस्ताक्षर न होने से कई प्रकार की व्यावहारिक समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि डिजिटल साइन को कोई भी व्यक्ति नकल या स्केन कर जाली ासरा तैयार क र सक ता है। उन्होंने बताया कि खसरे पर 10 रुपए का स्टॉम्प नहीं लगा होने पर यह न्यायालय में भी मान्य नहीं होगा, जिससे लोगों को परेशानी हो सक ती है। इस पर आईटी सचिव श्री राव ने क हा कि अब डिजिटल साइन सभी जगह स्वीक ार कि ए जा रहे हैं, इसके साथ स्टॉम्प शुल्क को एक अलग मद बनाकर उसमें जमा क राया जाएगा।
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