स्लामनगर पंचायत में हुई पंचायत में दलित पंच को घसीट-घसीट कर मारने वाले सरपंच पर एक सप्ताह भर बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। वहीं उप सरपंच भी खुले आम घूम रहा है। पीडि़त पंच और ग्रामीणों ने यह व्यथा सोमवार को राज्यपाल रामनरेश यादव को ज्ञापन देते हुए सुनाई।
ग्रामीणों ने कहा, उन्हें सरपंच और उप सरपंच अब भी धमका रहे हैं। ग्रामीणों को अजाक थाना बुलवाया गया, लेकिन सिर्फ दलित पंच के बयान लेने के बाद बाकी गांव वालों को भगा दिया गया।
गौर करें, 29 जनवरी को पंचायत की विशेष मीटिंग में पूर्व दलित पंच खुशीलाल धानक को सरपंच नारायण दास बैरागी और उपसरपंच रमाकांत मालवीय ने घसीट घसीट कर मारा था। इसकी रिपोर्ट करने के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है, बल्कि दोनों आरोपी उल्टे गवाहों को धमकाते घूम रहे हैं। सूखी सेवनिया पुलिस ने आरोपियों को न हिरासत में लिया न किसी प्रकार की आगे कार्रवाई की। गांव में इस समय भय का माहौल है। इस दौरान खुशीलाल धानक, श्रीमती गुलाब उमरिया, पंच रमेश मांझी, नाथूराम कुशवाह और सुरेंद्र पाल आर्य आदि थे।
-थाने में घंटों बैठे रहे ग्रामीण
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद अजाक थाने से बुलावा आ गया। थाना पहुंचने के बाद सिर्फ पूर्व दलित पंच खुशीलाल धानक के बयान लिए गए और बाकी गांव वालों को करीब तीन घंटे बिठाए रखने के बाद टरका दिया गया। इससे नाराज गांव वालों का कहना था कि, एफआईआर दर्ज करने के बजाय एक-एक आदमी के बयान लिए जा रहे हैं, जिससे आरोपियों की गिरफ्तारी टलती जा रही है। दूसरी ओर, आरोपी खुलेआम दलित पंच और गवाही देने वाले ग्रामीणों को धमका रहे हैं कि, किसी भी झूठे मामले में फंसा कर जेल भिजवा देंगे।
ग्रामीणों ने कहा, उन्हें सरपंच और उप सरपंच अब भी धमका रहे हैं। ग्रामीणों को अजाक थाना बुलवाया गया, लेकिन सिर्फ दलित पंच के बयान लेने के बाद बाकी गांव वालों को भगा दिया गया।
गौर करें, 29 जनवरी को पंचायत की विशेष मीटिंग में पूर्व दलित पंच खुशीलाल धानक को सरपंच नारायण दास बैरागी और उपसरपंच रमाकांत मालवीय ने घसीट घसीट कर मारा था। इसकी रिपोर्ट करने के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है, बल्कि दोनों आरोपी उल्टे गवाहों को धमकाते घूम रहे हैं। सूखी सेवनिया पुलिस ने आरोपियों को न हिरासत में लिया न किसी प्रकार की आगे कार्रवाई की। गांव में इस समय भय का माहौल है। इस दौरान खुशीलाल धानक, श्रीमती गुलाब उमरिया, पंच रमेश मांझी, नाथूराम कुशवाह और सुरेंद्र पाल आर्य आदि थे।
-थाने में घंटों बैठे रहे ग्रामीण
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद अजाक थाने से बुलावा आ गया। थाना पहुंचने के बाद सिर्फ पूर्व दलित पंच खुशीलाल धानक के बयान लिए गए और बाकी गांव वालों को करीब तीन घंटे बिठाए रखने के बाद टरका दिया गया। इससे नाराज गांव वालों का कहना था कि, एफआईआर दर्ज करने के बजाय एक-एक आदमी के बयान लिए जा रहे हैं, जिससे आरोपियों की गिरफ्तारी टलती जा रही है। दूसरी ओर, आरोपी खुलेआम दलित पंच और गवाही देने वाले ग्रामीणों को धमका रहे हैं कि, किसी भी झूठे मामले में फंसा कर जेल भिजवा देंगे।
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