प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में एक और बडें फेरबदल संकेत मिल रहा है। संकेत यह है कि वर्तमान प्रदेश पार्टी प्रभारी अनंत कुमार के स्थान पर बेंकैया नायडू को प्रभारी बनाया जा सकता है। अंदरखाने इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो गुरुवार को दिल्ली में आरएसएस और भाजपा की बैठक में इस पर चर्चा भी की गई। हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी ने न तो इसकी पुष्टि की और न ही इनकार ही किया।
वहीं सरकार द्वारा भोपाल में आयोजित स्किल डेवलपमेंट समिट में बेंकैया की सक्रियता और भाजपा कार्यालय में हुई बैठक से इस बात को बल मिलता है। बैठक के दौरान दौरान वेंकैया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से चर्चा की। राजधानी प्रवास के दौरान उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ में कसीदे भी पढ़े।
वैसे बेंकैया की प्रदेश में क्या भूमिका होगी और उनकी भूमिका से पार्टी को क्या लाभ मिलेगा ये तो भविष्य ही बताएगा, इन सबके बीच बेंकैया के दीनदयाल परिसर पहुंचने से पहले उनको लेकर पार्टी में स्पष्ट विरोध दिखाई पड़ा। उनके पहुंचने से पहले ही परिसर में एक पर्चा बांटा गया जिसमें उनसे तीन सवाल पूंछे गए। ये पर्चे किसने बंटवाए और क्यों बंटवाए ये तो नहीं पता चला, लेकिन सवालों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि उन्होंने अभी तक अपने प्रदेश में ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे पार्टी को महत्वपूर्ण लाभ हुआ हो, यहां तक कि वे बैंगलुरू में हुए पिछले नगरनिगम चुनाव में अपने भतीजे को नहीं जिता पाए। हां उनसे पूंछे गए सवालों परिलक्षित होता है कि प्रदेश में उनकी भूमिका को लेकर पार्टी स्तर कुछ न कुछ तो चल रहा है?
जानकार सूत्रों का यह भी कहना है बेंकैया पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के विरोधी माने जाते हैं, जिसके चलते उनको लंबे समय से पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई। अब गडकरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद वे पार्टी में फिर से सक्रिय भूमिका में आने के लिए बेताब हैं। इस साल कई राज्यों में विधानसभा और अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है ऐसे में बेंकैया को खुद को स्थापित करने के लिए मध्यप्रदेश सबसे मुफीद दिखाई पड़ रहा है। वैसे जो भी होगा शीघ्र ही सामने आ जाएगा।
वहीं सरकार द्वारा भोपाल में आयोजित स्किल डेवलपमेंट समिट में बेंकैया की सक्रियता और भाजपा कार्यालय में हुई बैठक से इस बात को बल मिलता है। बैठक के दौरान दौरान वेंकैया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से चर्चा की। राजधानी प्रवास के दौरान उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ में कसीदे भी पढ़े।
वैसे बेंकैया की प्रदेश में क्या भूमिका होगी और उनकी भूमिका से पार्टी को क्या लाभ मिलेगा ये तो भविष्य ही बताएगा, इन सबके बीच बेंकैया के दीनदयाल परिसर पहुंचने से पहले उनको लेकर पार्टी में स्पष्ट विरोध दिखाई पड़ा। उनके पहुंचने से पहले ही परिसर में एक पर्चा बांटा गया जिसमें उनसे तीन सवाल पूंछे गए। ये पर्चे किसने बंटवाए और क्यों बंटवाए ये तो नहीं पता चला, लेकिन सवालों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि उन्होंने अभी तक अपने प्रदेश में ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे पार्टी को महत्वपूर्ण लाभ हुआ हो, यहां तक कि वे बैंगलुरू में हुए पिछले नगरनिगम चुनाव में अपने भतीजे को नहीं जिता पाए। हां उनसे पूंछे गए सवालों परिलक्षित होता है कि प्रदेश में उनकी भूमिका को लेकर पार्टी स्तर कुछ न कुछ तो चल रहा है?
जानकार सूत्रों का यह भी कहना है बेंकैया पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के विरोधी माने जाते हैं, जिसके चलते उनको लंबे समय से पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई। अब गडकरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद वे पार्टी में फिर से सक्रिय भूमिका में आने के लिए बेताब हैं। इस साल कई राज्यों में विधानसभा और अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है ऐसे में बेंकैया को खुद को स्थापित करने के लिए मध्यप्रदेश सबसे मुफीद दिखाई पड़ रहा है। वैसे जो भी होगा शीघ्र ही सामने आ जाएगा।
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